रेपिस्ट की वजह से शर्मसार हुआ ऐतिहासिक गांव

रेपिस्ट की वजह से शर्मसार हुआ मुजफ्फरपुर का ऐतिहासिक गांव भरथुआ

दिल्ली में बच्ची के साथ जानवरों से भी बदतर हरकत करने वाले रेपिस्ट मनोज ने ऐतिहासिक गांव भरथुआ का सिर शर्म से झुका दिया है. मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के इस गांव का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. यह बेनी पुर के बगल का गांव है. बागमती के नए तटबंधों के बीच फंसा हुआ है. यह बहुत ही प्राचीन गांव है. कहते हैं कि राजा भतृहरि को जब वैराग्य हो गया तब वह यहीं के जंगलों में आकर रहने लगे थे. बैराग्यशतकम की रचना उन्होंने यहीं रहते हुए की थी. पास में पंचभिखा (पंचभिण्डा) नाम का एक डीह है. भतृहरि ने यहीं डेरा डंडा डाला, तपस्या की और वैराग्यशतकम लिखा. अगर यह सच है तो इस गांव का नाम पहले कभी भतृहरि आश्रम या भतृहरि ग्राम रहा होगा जो कि अपभ्रंश होते होते भरथुआ हो गया. यहां के बाशिन्दे बताते हैं कि यह इलाका पहले जंगल था और और दरभंगा महाराजा की रियासत का हिस्सा था. सन 1672 में औरंगजेब के जमाने में जब चोटी (टिकी) पर कर लगा तो उनके पूर्वज बाबा शिवनाथ नगरकोट कांगड़ा से यहां चले आए. सामने डीह पर एक बहुत बड़ा कुंआ था. वहीं उन्होंने एक सियार को देखा एक कुत्ते को खदेड़ते हुए, तब उनको लगा कि यह जरूर कोई संस्कारी जगह है सो यहीं रह गए. यहीं कटौंझा के पास शंकर पुर का गढ़ है जहा भुअरबार नाम का एक डकैत रहता था. वह राजा को टैक्स नहीं देता था.

 
 
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