बोझ नहीं जिम्मेदारी:हर दिन श्रमिक दिवस!

Pics: बोझ नहीं जिम्मेदारी, हमारे लिए तो हर दिन

वैश्वीकरण और मुनाफे की अंधीदौड़ में मजदूरों का शोषण आज भी जारी है. मेहनतकश मजदूरों को उचित पारिश्रमिक दिलाने और उनके आर्थिक समाजिक योगदान को मान्यता देने के लिए पूरी दुनिया में हर साल एक मई ‘मजदूर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. प्रतिदिन आठ घंटे और सप्ताह में 40 घंटे कामकाज, उचित पारिश्रमिक और बेहतर माहौल जैसी मांगों को लेकर शुरू हुआ मजूदरों का संघर्ष आज भी जारी है. दुनिया भर में हर साल कार्यस्थलों पर करोड़ों दुर्घटनाएं होती हैं और लाखों लोग इन हादसों में मारे जाते हैं. वहीं कंपनियां अब ठेके (कांट्रैक्ट) पर काम कराने को खूब बढ़ावा दे रही हैं. न केवल अस्थायी बल्कि स्थायी प्रकृति के कार्य भी ठेके पर कराने की प्रवृति बढ़ती जा रही है. इसमें उत्पादक को भी पता नहीं होता कि कितना माल तैयार करना है.

 
 
Don't Miss