जुवेनाइल एक्ट की SC में सुनवाई

क्या हो जुवेनाइल की परिभाषा, सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट जुविनायल जस्टिस एक्ट की परिभाषा पर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने किशोर न्याय कानून में किशोर की परिभाषा निरस्त करने के लिये वकील कमल कुमार पांडे और सुकुमार की जनहित याचिका पर विचार करने का निश्चय किया. न्यायाधीशों ने इसके साथ ही अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती से इस मामले में न्यायालय की मदद करने का अनुरोध किया है. दोनों वकीलों ने इस याचिका में तर्क दिया है इस कानून की धारा 2 (के), 10 और धारा 17 तर्कहीन और संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है. किशोर न्याय क़ानून किशोरों के अपराध से संबंधित है और इस तरह के मामले किशोर न्याय बोर्ड में सुने जाते हैं. क़ानून के भीतर प्रावधान है कि जो किशोर या किशोरी 18 साल से कम उम्र के हैं, और वो अगर किसी अपराध में लिप्त पाए जाते हैं तो उनकी सुनवाई इसी बोर्ड में होगी. ख़बरों के मुताबिक़ दो वकीलों- सुकुमार और कमल कुमार पांडे की याचिका में कहा गया है कि किसी कम उम्र के अभियुक्त का मामला इस किशोर क़ानून के भीतर सुना जाएगा या सामान्य भारतीय दंड संहिता के दायरे में ये अपराध की गंभीरता के आधार पर तय किया जाना चाहिए.

 
 
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