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रविंद्र नाथ टैगोर जब पत्नी या प्रेमिका को चिट्ठी लिखा करते थे तो प्यार के छलकाने का पैमाना क्या था...रोमांस की गहराई नापने वाले शब्द को वो कैसे अपनी राइटिंग में पिरोते थे... खूबसूरती की तारीफ और जुदा होने का गम उन्हें कितना सताता था...टैगोर के कुछ अनछुए पहलू हैं... मालाश्री लाल ने उन्हीं लम्हों को ‘टैगोर एंड द फैमेनिन’ में कैद किया है... रोमांटिक खतों की तरजुमानी और टैगोर की नारी की पूरी सच्चाई को समेटने की कोशिश मालाश्री ने ‘टैगोर एंड द फैमेनिन’ में की है. दिग्गी पैलेस के फ्रंट लॉन में ही ओगो विदेशनी, एकला चलो रे के तड़के साथ टैगोर एंड द फैमेनिन का विमोचन भी बेजोड़ रहा.
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