लीजिए ‘आप’ भी हो गए वीआईपी!

 कामयाबी ऐसी चीज कि आम आदमी न चाहते हुए भी हो जाता है वीआईपी

यही उम्मीदें सक्षम व्यक्ति को वीआईपी बना देती हैं. सही मायनों में वीआईपी कल्चर तभी खत्म होगा जब आम आदमी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में खुद सामर्थ्यवान होगा. नहीं तो आम आदमी यूं ही पिसता रहेगा, निरीह बना रहेगा और कामयाब इंसान को वीआईपी बनाता रहेगा. (बड़े अदब से- रत्नेश मिश्र)

 
 
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