महागठबंधन में अब सामंजस्य की चुनौती

बिहार: महागठबंधन में अब सामंजस्य की चुनौती

पिछले दस साल में बिहार जिस सकारात्मकता की ओर बढ़ा है उसका श्रेय निश्चय ही नीतीश कुमार को जाता है लेकिन इस दौर के आठ साल के समीकरण दूसरे थे. लालू प्रसाद को भी यह समझना होगा कि उनके और राबड़ी देवी के शासनकाल में कई ऐसी त्रुटियां हुइर्ं जिन्होंने उन्हें दागदार बनाया. उन्हें यह भी समझना होगा कि बिहार अब नब्बे के मंडल युग से 25 साल आगे निकल चुका है और बिहार की चुनौतियां ज्यादा बड़ी भी हैं और जटिल भी. नीतीश-लालू और साथ ही कांग्रेस भी आगे की इन चुनौतियों से निपटने के लिए अतिशय सत्ताप्रेम से ऊपर उठकर किस तरह का सामंजस्य बैठाते हैं, बिहार का सारा भविष्य इस पर ही निर्भर करता है. और बिहार का ही नहीं कुछ-कुछ देश का भी. बधाइयों के बीच संजीदगी ही संजीवनी होती है. दया शंकर राय

 
 
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