Pics: भारत आए बापू के स्मृति-चिह्न

नीलामी के बाद मोरारका ने कहा था, ‘‘यह खरीद कोई व्यावसायिक नहीं बल्कि एक भावनात्मक फैसला था. हमारा मकसद ऐसी चीजें बेचना नहीं बल्कि उन्हें भारत वापस लाकर अपने लोगों के बीच साझा करना है. ये हमारे लिए महत्वपूर्ण धरोहर हैं.’’

 
 
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