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- जयपुर साहित्य समारोह
बड़ा बेदर्द है मंटो ...मंटो की कहानी में जुबान की बेअदबी.. बा-अदब बना देती है...जयपुर के आमेर महल की सीढ़ियों पर फिर याद आ ही गया...पगला मंटो ...रुलाता ...हंसाता रहा...मशहूर अदाकार नसीरुद्दीन शाह की आवाज़ में टोबा टेक सिंह को सुनने वाले खामोश पड़ गये....ठहराव ऐसा कि जिस्म में खून रुक सा गया... जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरूआत ने ही ऐसा समां बांधा कि हर लम्हे को यादगार बनाने की दस्तक देने लगा...कई हस्तियों की कलम का हुनर और ताकत की मिसाल बन गया ...
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