PICS: यूपी की नदियां उफनायीं, सैकड़ों गांव जलमग्न

PICS: नदियों ने मचायी तबाही: सैकड़ों गांव में लाखों की आबादी बाढ़ से घिरी, 28 मरे

पड़ोसी मुल्क में बाढ़ का पानी बांधों के जरिये छोड़े जाने से घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती और बूढ़ी राप्ती ने सैकड़ों गांवों में तबाही का मंजर पैदा कर दिया है. बाढ़जनित हादसों में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित है. सैलाब का असर सड़क तथा रेल यातायात पर भी पड़ा है और बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिये सशस्त्र सीमा बल तथा पीएसी को तैनात किया गया है. राज्य के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने संवाददाताओं को बताया कि प्रदेश के नौ जिलों के करीब 1500 गांव की लाखों की आबादी सैलाब से प्रभावित है. इनमें बाढ़जनित हादसों में अब तक 28 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. बहराइच में 14, श्रावस्ती में दो, बलरामपुर में एक, लखीमपुर खीरी में सात, सीतापुर में चार लोग मारे जा चुके हैं. बाढ़ प्रभावित जिलों में बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, लखीमपुर, बाराबंकी, सीतापुर, फैजाबाद तथा आजमगढ़ शामिल हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ का सबसे ज्यादा कहर बहराइच में टूटा है जहां 202 गांव प्रभावित हैं. वहां बाढ़ अब तक 14 लोगों की जान ले चुकी है. इसके अलावा श्रावस्ती के 117 गांवों में करीब 60 हजार लोग सैलाब से प्रभावित हैं. इस बीच, बहराइच से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की भादा, कौड़ियाला और गेरुआ में बाढ़ आने से बहराइच की घाघरा तथा सरयू नदी और श्रावस्ती में राप्ती नदी का जलस्तर कल बहुत बढ़ गया. नानपारा और महसी तहसील के 250 मकान ढह गये हैं तथा 95 झोपड़ियां बह गयी हैं. इन तहसीलों के 103 गांवों 546 मजरे की करीब ढाई लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. बचाव और राहत कार्य के लिये सेना के दो हेलीकाप्टर पहुंच चुके हैं. महसी तहसील से अब तक 4800 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक श्रावस्ती में भी करीब 200 मजरे (कम आबादी वाला गांव) बाढ़ से प्रभावित हैं. वहां आजादी के बाद सबसे भीषण बाढ़ 1969 में आयी थी. इस बार पानी उससे भी ज्यादा है.

 
 
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