एक बस कंडक्टर से हंसी के बादशाह तक

Death anniversary: ...और एक बस कंडक्टर बन गया

लगभग सात आठ महीने के संघर्ष के बाद जॉनी वॉकर को फिल्म 'अखिरी पैमाने' में एक छोटा सा रोल मिला. इस फिल्म में उन्हें पारिश्रमिक के तौर पर 80 रूपये मिले जबकि बतौर बस कंडकटर उन्हें पूरे महीने के मात्र 26 रूपये ही मिला करते थे. एक दिन उस बस में अभिनेता बलराज साहनी भी सफर कर रहे थे वह जॉनी वॉकर के हास्य व्यंग्य के अंदाज से काफी प्रभावित हुये और उन्होंने जॉनी वॉकर को गुरूदत्त से मिलने की सलाह दी.

 
 
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