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- टिपिकल पति-पत्नी ड्रामा है कागज के फूल्स

घर वालों को तब उसका पता चलता है जब कॉलगर्ल के घर पड़े छापे के दौरान वह पुलिस वालों के हत्थे चढ़ता है. कॉलगर्ल पैसा देकर विनय के साथ छूट जाती है लेकिन तब तक विनय का पर्दाफाश हो जाता है. मुग्धा फिर भड़क जाती है लेकिन कॉलगर्ल बनी राइमा सेन मुग्धा को समझाती है कि विनय ने उसे टच तक नहीं किया. वह हमेशा मुग्धा के साथ ही जीता रहा, राइमा के घर में रहने के बावजूद. इस बीच विनय के उपन्यास के चटपटे ढंग से छप जाने की उपकथा है लेकिन वह नहीं भी होती तो चलता. पति पत्नी फिर मिल जाते हैं लेकिन छह महीने बाद दोनों के बीच फिर खटर पटर शुरू हो जाती है. फिल्म इस नोट पर समाप्त होती है कि पति औरपत्नी कभी संतुष्ट नहीं होते. पति-पत्नी रिश्तों पर बनी कई सौ बेहतर फिल्मों की भारी मौजूदगी के बीच अगर इस फिल्म को कुल सात लोग देख रहे थे तो इसमें गलत क्या है. हां अभिनय के मोच्रे पर फिल्म अच्छी है. विनय, मुग्धा और राइमा तीनों ने बेहतर काम किया है.