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- Happy Birthday: देवानंद
जब काफी दिन यूं ही गुजर गये तो देवानंद ने सोचा कि यदि उन्हें मुंबई में रहना है तो जीवन-यापन के लिये नौकरी करनी पड़ेगी चाहे वह कैसी भी नौकरी क्यों न हो. अथक प्रयास के बाद उन्हें मिलिट्री सेन्सर ऑफिस में लिपिक की नौकरी मिल गयी. मिलिट्री सेन्सर ऑफिस में देवानंद को 165 रुपये मासिक वेतन मिलता था जिसमें से 45 रुपये वह अपने परिवार के खर्च के लिये भेज देते थे. लगभग एक वर्ष तक नौकरी करने के बाद वह अपने बड़े भाई चेतन आनंद के पास चले गये जो उस समय भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जुड़े हुये थे. उन्होंने देवानंद को भी अपने साथ इप्टा मे शामिल कर लिया जिसके बैनर तले देवानंद ने नाटकों में छोटे-मोटे रोल किये.
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