B'day Spl: ...तो यूं बने यूसुफ खां से 'दिलीप कुमार'

PICS: 95 साल के हुए दिलीप कुमार, जानें कैसे बने यूसुफ खां से

वर्ष 1943 में उनकी मुलाकात बांबे टॉकीज की व्यवस्थापिका देविका रानी से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान मुंबई आने का न्यौता दिया. पहले तो दिलीप कुमार ने इस बात को हल्के से लिया लेकिन बाद में कैंटीन व्यापार में भी मन उचट जाने से उन्होंने देविका रानी से मिलने का निश्चय किया. देविका रानी ने यूसुफ खान को सुझाव दिया कि यदि वह अपना फिल्मी नाम बदल दे तो वह उन्हें अपनी नई फिल्म ज्वार भाटा बतौर अभिनेता काम दे सकती हैं. देविका रानी ने यूसुफ खान को वासुदेव, जहांगीर और दिलीप कुमार में से एक नाम को चुनने को कहा. वर्ष 1944 में प्रदर्शित फिल्म ज्वारभाटा से बतौर अभिनेता दिलीप कुमार ने अपने सिने करियर की शुरूआत की.

 
 
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