ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया

B

गायकी छोड़ना उनके लिए वैसा ही था, जैसे एक मछली का पानी के बिना रहना. वे करीब पांच साल तक नहीं गा सकीं, जिसके कारण वह बीमार रहने लगीं. यही वह वक्त था जब संगीत के क्षेत्र में उनकी वापसी उनकी गिरती सेहत के लिए हितकर साबित हुई और 1949 में वह रिकॉर्डिग स्टूडियो लौटीं. उन्होंने लखनऊ रेडियो स्टेशन में तीन गजल और एक दादरा गाया. तत्पश्चात उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े और उन्होंने संगीत गोष्ठियों में गायन का रुख किया. गायकी का यह सिलसिला उनकी आखिरी सांस तक जारी रहा.

 
 
Don't Miss