Review: सपनों को पूरा करने की कहानी जुबान

Review: सपनों को पूरा करने की कहानी है जुबान

मोजेज सिंह ने अपनी पहली फिल्म के लिए एक अलग कहानी चुनी है जिसका निर्देशन भी उन्होंने अलग तरीके से किया है. एक गांव के लड़के के सपने और हकीकत के कामयाबी की बीच के संघर्ष का उन्होंने पर्दे पर शानदार तरीके से पेश किया है. हालांकि उनके निर्देशन में कुछ खामियां भी है कई जगह ज्यादा नाटकियता पेश करने की कोशिश की है जो सहज नहीं लगती. ‘मसान’ से अपनी पहचान बनाने के बाद विक्की कौशल ने ‘जुबान’ में अपनी अदाकारी से यह जता दिया है कि बॉलीवुड में उनका सितारा चमकने वाला है. गांव के संघर्ष से शहर की कामयाबी, फिर अपने सपनों को पूरा करने में लगा दिलशेर के जुनून वह पर्दे पर निभाने पर पूरी तरह कामयाब रहे. बड़े व्यपारी के किरदार में मनीष चौधरी भी पूरी तरह फिट बैठे है हर फ्रेम में उनकी उपस्थिति दमदार रही है. गायक के तौर पर सारा-जेन डियाज ने भी अच्छा काम किया हालांकि उनके किरदार को और थोडी तव्वजों मिलना चाहिये था. फिल्म में मेघना मलिक को पहचानने में थोड़ा समय जरूर लगा लेकिन वह भी अपने रोल में जमीं है. सूर्या के किरदार के साथ राघव चानना ने भी न्याय किया है.

 
 
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