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- रियल कहानी है, बाबूजी को जरूर देखें

वह एक दिन फैसला करते हैं कि अब से वह लोगों की कही-सुनी बातों पर यकीन नहीं करेंगे. वह केवल आंखों देखी बातों को ही सच मानेंगे. यहां से फिल्म और बाबूजी के रिश्तों में बदलाव आता है. इस फिल्म में गलियों वाली दिल्ली मिलेगी, जहां मोहल्ला कल्चर अभी तक जिंदा है. यह वसंत कुंज की दिल्ली नहीं है.
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