रियल कहानी है, बाबूजी को जरूर देखें

Review: रील नहीं रियल कहानी है आंखों देखी, जरूर देखें

एक्टर, डायरेक्टर, प्रोडयूसर रजत कपूर की फिल्म 'आंखों देखी' एक 55 साल के बूढ़े व्यक्ति बाबूजी की कहानी है. जुहू सर्कल पर एक व्यक्ति कृष्णा दास ट्रैफिक सिग्नल पर एक बोर्ड लेकर खड़ा होता है जिसे वहां आते-जाते लोग इस वजह से पहचानने लगे हैं. उसने बोर्ड पर यही लिखा है 'अपने धर्म पर चलो, सबसे प्रेम करो'.रजत की फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एक्टर संजय मिश्रा ने फिल्म में कुछ इसी तरह इस सीन को उठाया है. वे भी एक बोर्ड लेकर खड़े होते हैं जिस पर लिखा गया है 'सब कुछ यहीं है आंखे खोलकर देखो.'फिल्म के ट्रेलर को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. ये कहानी है पुरानी दिल्ली की तंग गली के छोटे मकान में रहते एक परिवार की. बाबू जी और अम्मा. उनके दो बच्चे रीटा और शम्मी. फिर ऋषि चाचा और लता चाची. उनका भी एक बच्चा. इस भरे पूरे परिवार के लिए हैं दो छोटे कमरे और बीच का एक दालान. खबर के अंत में देखिए फिल्म का ट्रेलर

 
 
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