- पहला पन्ना
- मनोरंजन
- बोमन ने ठुकरा दी थी मुन्ना भाई

कमाल की बात यह है कि मुझे एक्टर बनने के लिए कोई स्ट्रगल नहीं करना पड़ा. पर फोटोग्राफर बनने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े. वेफर की दुकान पर बैठकर मैं अक्सर सोचता था कि मैं यहां जिंदगी भर वेफर्स तो नहीं बेचूंगा न? फोटोग्राफी मैं स्कूल के दिनों से ही करने लगा था. मुझे याद है कि स्पोर्ट्स डे या कैम्पिंग के दिनों में मम्मियां जब अपने बच्चों के साथ स्कूल आती थीं, तो मैं उनकी तस्वीरें खींच लिया करता था और उन फोटोज को प्रिंट करके 25-25 रुपये में बेचता था.
Don't Miss