अपनी भूख से बड़ी है बच्चे की भूख

Review Citylights: अपनी पेट के भूख से बड़ी है बच्चे की भूख

कैसी भी परिस्थिति हो...कैसे भी हालात हों....कितनी ही पीड़ा हो...परिवार के प्यार का एहसास सबसे लड़ने की हिम्मत दे देता है. 'सिटीलाइट्स' कहानी है राजस्‍थान के एक ऐसे किसान की जो अपनी वाइफ और डॉटर के साथ माया नगरी मुंबई आता है ताकि उन्‍हें एक बेहतर लाइफ स्‍टाइल दे सके. इस कोशिश में वो हालात से इस कदर जूझता है कि उसका हौंसला पस्‍त हो जाता है. अपनी फेमिली से उसका प्‍यार उसे सिखाता है कि सही इरादे भी गलत रास्‍तों की तरफ ले जा सकते हैं जब आपको कामयाबी की जरूरत शिद्दत से महसूस हो रही हो तो आप बावले हो जाते हैं. अपने पेट की भूख से कहीं तेज होती है अपने बच्‍चे की भूख जो आपको सब कुछ भुला देती है. जिसे आप प्‍यार करते हैं उसी का इस्‍तेमाल करने पर मजबूर हो जाते हैं क्‍योंकी बंद दरवाजे खोलने के लिए जिस पॉवर की जरूरत होती है वो पैसा ही है.

 
 
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