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- गुलजार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

उन्होंने कहा कि आज मैं जिस जगह पर हूं, वहां तक अकेले पहुंचना असंभव था. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे बिमल राय और एस डी बर्मन जैसे गुरू मिले. अतीत की यादें हैं लेकिन उनमें रहना सही नहीं है. आपको समय के साथ बदलना होता है.
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