ख़त पढ़कर सांसें रूक गई फाल्के की

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भारतीय सिने जगत के पितामह दादा साहेब फाल्के का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है. साल 1944 में भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले धुंडिराज गोविंद फाल्के यानी दादा साहेब फाल्के ने अंतिम बार फ़िल्म बनाने की इच्छा की थी. वो फ़िल्म बनाने की इजाज़त नहीं मिली और इनकार के उस एक ख़त के बाद फाल्के जीवित नहीं रहे.फाल्के ने भारत का पहली बार चलचित्र विधा से परिचय कराया. 1913 में देश की पहली मूक फिल्म राजा हरिशचन्द्र का निर्माण कर उन्होंने देश को एक नया स्वप्न दिया. उस स्वप्न को हम आज बॉलीवुड के नाम से जानते हैं.फाल्के लंदन से फ़िल्म बनाने की तकनीक तो सीख आए लेकिन पहली फ़ीचर फ़िल्म राजा हरिश्चंद्र बनाना अपने आप में एक बड़ा संघर्ष था.

 
 
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