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- उनके खत से खुशी के मारे पागल हो गई

मैंने बाहर आकर उस खत को खोला तो देखा कि वह बच्चन साहब के हाथ से लिखी चिट्ठी थी. मैं तो खुशी के मारे पागल हुए जा रही थी. खत को पढ़ते वक्त मेरे हाथ कांप रहे थे.
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मैंने बाहर आकर उस खत को खोला तो देखा कि वह बच्चन साहब के हाथ से लिखी चिट्ठी थी. मैं तो खुशी के मारे पागल हुए जा रही थी. खत को पढ़ते वक्त मेरे हाथ कांप रहे थे.