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- वेटर वाले दिन दुख भरे थे

पर ये बातें टीनएज में समझ नहीं आती थीं. तब तो मैं उन्हें बराबर चिट्ठी भी नहीं लिखता था. वहां खाली वक्त में मैंने मार्शल आर्ट्स का प्रशिक्षण लेने का फैसला किया. हालांकि मार्शल आर्ट्स को सीखने की शुरुआत तो मैं आठवीं कक्षा से ही कर चुका था.
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