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- वेटर वाले दिन दुख भरे थे

तब दुख होता था लेकिन मैं मेहनत से कभी पीछे नहीं हटा. मेरी फिजूलखर्ची के मद्देनजर जरूरत भर के पैसों के अलावा बाकी के पैसे घर भेज दिये जाते थे. मम्मी-पापा मेरे लिए चिंतित रहते थे. वहां मैं तो अपनी मस्ती में रहता था.
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