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- दुर्गा खोटे: भूली-बिसरी यादें

चैताली ने कहा ‘‘अपनी आत्मकथा में दुर्गा खोटे ने अमरज्योति के बारे में लिखा है कि ऐसी फिल्में कभी कभार ही बनती हैं जिनमें काम कर कलाकार को सचमुच संतुष्टि मिलती है. ‘‘अमरज्योति में सिनेमेटोग्राफी, सेट, कॉस्ट्यूम, गहने सब कुछ इतना शानदार था कि दर्शक एक एक दृश्य को दिल से देखते रहे. अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती सौदामिनी की भूमिका को मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिकाओं में जगह देती हूं.’’
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