भोपाल गैस पीड़ितों के जख्म अब तक ताज़ा

 अब तक नहीं रखा जा सका भोपाल गैस पीड़ितों के जख्म पर मरहम

भोपाल गैस त्रासदी की मंगलवार को 29वीं बरसी है. इन 29 वर्षों में साल दर साल इंसाफ के लिए कोशिशें तेज हुईं लेकिन तीन दशक बाद भी गैस पीड़ितों को उनका वाजिब हक नहीं मिला. न एंडरसन की गिरफ्तारी हुई, न मुआवजे की रकम बढ़ी और न ही रासायनिक कचरा जलाने पर कहीं कोई सहमति बन पाई. गैस पीड़ित संगठनों ने भारत समेत अमेरिकी संसद से भी अपने हक की मांग की है. भोपाल गैस त्रासदी को विश्व के औद्योगिक जगत का सबसे बड़ा हादसा माना जाता रहा है. दो-तीन दिसंबर की दरमियानी रात को यहां की यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से घातक मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव हुआ और बड़ी संख्या लोग तथा पशु पक्षी मारे गए थे. 2 दिसंबर 1984 का दिन गुजार कर आई रात भोपाल ही नहीं दुनियाभर के लिए काला इतिहास बन गई. उस जहर का असर आज तक है. तीन दशक हो गए. पीड़ितों को इंसाफ के नाम पर एक ढेला नहीं मिला.

 
 
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