टीबी का अधूरा इलाज न छोड़ें गर्भवती महिलाएं

टीबी का अधूरा इलाज महिलाओं और नवजात शिशु के लिए बन सकता है खतरा

तपेदिक यानी टीबी का अधूरा इलाज न छोड़ें महिलाएं. ऐसा करने से उनको तो हानि होगी ही साथ ही निर्धारित अवधि तक दवाएं नहीं लेने व जांच प्रक्रिया में आनाकानी करना उनके नवजात शिशुओं के जीवन पर भारी पड़ सकता है. राजधानी दिल्ली के तीन मेडिकल कॉलेजों से संबंद्ध अस्पतालों में 25 से 38 साल की उम्र की 300 महिलाओं पर कराए गए अध्ययन चौंकाने वाले हैं. इसमें पाया गया कि जिन महिलाओं को मां बनने से पहले टीबी रोग हुआ था और उसने स्टेट टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत डाट्स केंद्रों पर विशेषज्ञ द्वारा घोषित तीन से छह माह तक दवाएं पूरी तरह नहीं ली तो ऐसी महिलाओं के 33 फीसद शिशुओं में टीबी रोग की पुष्टि हुई. शिशुओं में टीबी का पता जन्म के बाद पाया गया. अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों का यह भी तर्क है कि यह जरूरी नहीं है कि टीबी के जीवाणु की पुष्टि होने वाले बच्चों को यह रोग उनकी मां से ही मिला हो. हो सकता है कि डिलीवरी के दौरान 'मैन टू मैन' फैलने वाले जीवाणु उसे अनजाने में दूसरे व्यक्ति से मिला हो.

 
 
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