इस दिन हुआ था राधा-कृष्ण मिलन

PICS: श्रीपंचमी को हुआ था राधा-कृष्ण मिलन

वसंत पंचमी इस बार 12 फरवरी को पड़ रही है. प्रेम, उमंग, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान के समन्वय के इस रंगबिरंगे पर्व का अभिनंदन प्रकृति अपने समस्त श्रृंगार के साथ करती है. हमारे यहां ‘वसंतोत्सव’ या यूं कहें ‘मदनोत्सव’ मनाये जाने की काफी पुरानी परंपरा रही है. ऋतुराज वसंत के स्वागत में प्रकृति का समूचा सौंदर्य निखर उठता है. जब वसंत में समूची प्रकृति जीवंत हो जाती है, सद्ज्ञान की अधिष्ठात्री मां सरस्वती के जन्मोत्सव मनाये जाने के उल्लेख मिलते हैं. वहीं पौराणिक मान्यताएं वसंत पंचमी पर रति-कामदेव के पूजन की हर बात कहती हैं. ‘भविष्य पुराण’ में वसंत काल की शुक्ल त्रयोदशी में उल्लास के देव काम और सौंदर्य की देवी रति की मूर्ति बनाकर सामूहिक रूप से इनका पूजन का वर्णन मिलता है. वस्तुत: वसंत पर्व नये उमंग और सजल भावों को जगाता है. इन्हीं कामनाओं को परिष्कृत और उदात्त करने के लिए सरस्वती पूजा की परंपरा चल पड़ी. हमारा प्राचीन नजरिया है कि स्वच्छन्द कामवृत्ति युवाओं के स्वाध्याय को खंडित कर सकती है, इसी कारण भारतीय ऋषि संस्कृति में वसंत पंचमी पर रति-कामदेव महोत्सव के साथ सरवस्ती पूजन का विधान किया गया है. दूसरी ओर वैष्णव धर्मावलंबी वसंत पंचमी को ‘श्रीपंचमी’ के रूप में मनाते हैं.

 
 
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