यहां मां जगदम्बा ने की नौ दिनों तक आंसुओं की वर्षा

यहां मां जगदम्बा ने नौ दिन और नौ रात की आंसुओं की वर्षा

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित मां शाकम्भरी सिद्धपीठ देवी भक्तों की अनन्य आस्था का केंद्र है. मार्कण्डेय पुराण, पद्म पुराण व दुर्गा सप्तशती में इस पौराणिक सिद्धपीठ की अधिष्ठात्री माता शाकम्भरी का उल्लेख मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार दुर्गम नामक दैत्य ने ब्रह्माजी की घोर तपस्या कर वरदान में चारों वेद मांग लिये. दैत्यों के हाथ चारों वेद लगने से सृष्टि संचालन के ज्ञान-विज्ञान से ऋषि-मुनि वंचित हो गये. परिणामस्वरूप अनेक वर्षों तक वर्षा नहीं हुई जिसके कारण पृथ्वी लोक में अकाल पड़ने से चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गयी. तब ब्रह्माजी के सुझाव पर देवताओं व मनुष्यों ने कष्ट से मुक्ति पाने के लिए शिवालिक पर्वत पर जाकर मां जगदम्बा की आराधना करनी शुरू कर दी. भक्तों की करुण पुकार सुनकर मां भगवती उक्त पर्वत पर प्रकट हुई और अपने नेत्रों से नौ दिन व नौ रात तक निरंतर आंसुओं की वर्षा की. मां जगदम्बा के नेत्रों से बही जलधारा से सूखी धरा तृप्त हो गयी. तत्पश्चात मां ने देवताओं की भूख मिटाने के लिए पहाड़ी पर शाक-फल उत्पन्न किये, जिसके कारण वे माता शाकम्भरी के नाम से लोक विख्यात हुई.

 
 
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