सखियों के लिए मां भवानी ने काट दिया अपना सिर

छिन्नमस्ता मंदिर : मां भवानी ने सखियों के लिए काट दिया अपना सिर

हिन्दुओं के आस्था की धरोहर छिन्नमस्ता मंदिर का विख्यात सिद्धपीठ भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर राजरप्पा में स्थित है. असम में कामाख्या के बाद इस मंदिर को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सिद्धपीठ माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि एक बार भगवती भवानी अपनी दो सहेलियों जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने आई थीं. स्नान करने के बाद सहेलियों को इतनी तेज भूख लगी कि भूख से बेहाल उनका रंग काला पड़ने लगा. उन्होंने माता से भोजन मांगा. माता ने थोड़ा सब्र करने के लिए कहा, लेकिन वे भूख से तड़पने लगीं. सहेलियों ने माता से कहा, हे माता! जब शिशु को भूख लगती है तो मां अपने हर काम भूलकर उसे भोजन कराती है. आप ऐसा क्यों नहीं करतीं? यह बात सुनते ही मां भवानी ने खड्ग से अपना सिर काट दिया, कटा हुआ सिर उनके बायें हाथ में आ गिरा और खून की तीन धाराएं बह निकलीं, सिर से निकली दो धाराओं को उन्होंने अपनी सहेलियों की ओर बहा दिया, जिसे पान कर दोनों तृप्त हो गईं. तीसरी धारा देवी स्वयं पान करने लगीं. तभी से मां के इस रूप को छिन्नमस्तिका नाम से पूजा जाने लगा.

 
 
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