अक्षय तृतीया: मंगल कार्य के लिए चौबीसों घंटे शुभ

अक्षय तृतीया का हर क्षण शुभ, मंगल कार्य के लिए चौबीसों घंटे शुभ मुहूर्त

संस्कृति प्रधान भारत वर्ष में व्रत-पर्वोत्सव का विशेष महत्व है. तिथि गणना अनुसार व्रत-पर्वोत्सवों में चार सिद्ध मुहूर्त हैं- चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, विजयादशमी और दीपावली के पूर्व की प्रदोष तिथि. वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया का शाब्दिक अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो. अक्षय तृतीया पर सभी श्रेष्ठ कर्मों का फल अक्षय होता है. इस वर्ष अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया तद्नुसार आगामी 21 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. इस संबंध में आचार्य पंडित शरद चंद्र ने बताया कि हृषीकेश पंचांग के अनुसार 21 अप्रैल को सूर्योदय प्रात: 5.37 बजे और तृतीया तिथि का मान 3 दंड 32 पला यानी सायं 7.26 बजे तक है. दिन मंगलवार और कृतिका नक्षत्र दिन में 2.09 बजे तक है. तत्पश्चात रोहिणी नक्षत्र है. व्रतराज के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया) के दिन रोहिणी नक्षत्र का स्थित होना अत्यंत उत्तम माना गया है.

 
 
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