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- बुद्धि की देवी स्कंदमाता
नव दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं. मां अपने भक्तों की समस्त इच्छायें पूरी करती हैं. नवरात्र के पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना का विधान है. माना जाता है कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है. कहते हैं, महाकवि कालिदास द्वारा रचित 'रघुवंशम' महाकाव्य और 'मेघदूत' जैसी रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुई. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें 'स्कंदमाता' नाम से अभिहित किया गया है. स्वरूप स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है. इस दिन साधक का मन 'विशुद्ध' चक्र में अवस्थित होता है. इनके विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं.
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