सावन सोमवार, शिव पूजा विधि और महत्व

PICS: सावन का दूसरा सोमवार, जानिए शिव पूजा विधि, महत्व और शिव के 11 नाम

सावन में शिव पूजन के लिए कांवड़िये गंगाजल लेकर अपने-अपने स्थानों को लौट रहे हैं. साथ ही मंदिरों में श्रद्धालु शिव का जलाभिेषेक कर रहे हैं. कहते हैं सावन का महीना भोले-भंडारी को अतिप्रिय है. इस समय में शिव अपने भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं. शिव की पूजा अर्चना का महीना है सावन. पुराणों और शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं. सावन सोमवार, सोलह सोमवार और सोम प्रदोष. सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है. इस व्रत को श्रावण माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है. श्रावण सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है. श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है. शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है. व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए. प्रत्येक मनुष्य को भगवान की पूजा हमेशा करना चाहिए. घर के मंदिर में शिवालय अवश्य रखना चाहिए, अन्यथा भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है. शिव महापुराण के अनुसार मनुष्य को पूरे मन, प्रेम एवं लगन से भगवान का पूजन करना चाहिए. पूजा के लिए जरूरी नहीं है कि आप ज्यादा समय और अधिक से अधिक सामग्री चढ़ाएं. बल्कि जब तक आपका मन अच्छा नहीं होगा, तब तक आप पूजा मन लगाकर नहीं कर सकते. भगवान शिव मात्र एक लोटा जल, बेलपत्र, मंत्र जप से ही प्रसन्न हो जाते है. अत: मनुष्य अगर शिव का इतना भी पूजन कर लें तो पाप कर्मों से सहज मुक्ति प्राप्त हो जाती है.

 
 
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