एक श्राप.. और फल्गू हो गई जलविहीन, गाय खाती है जूठा

दशरथ का पिण्डदान कर सीता जी ने दिया श्राप, फल्गू हो गई जलविहीन और गाय खाती है जूठा

लोक मान्यता है कि फल्गु नदी के तट पर पिण्डदान और तर्पण करने से पितरों को सबसे उत्तम गति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है. वाल्मीकि रामायण में दशरथ के पिण्डदान को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है. जब राम, सीता और लक्ष्‍मण वनवास पर थे तब उन्‍हें राजा दशरथ की मृत्‍यु का समाचार उन्हें मि‍ला. भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ पिता दशरथ का श्राद्ध करने गया धाम में फाल्‍गु नदी के कि‍नारे पहुंचे. वहां श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने हेतु राम और लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए. उधर पिण्डदान का समय निकलता जा रहा था और सीता जी की चिंता बढ़ती जा रही थी. अपराह्न में दशरथ की आत्मा ने पिण्डदान की मांग कर दी. फल्गू नदी के तट पर अकेली बैठी सीता जी असमंजस में पड़ गईं.

 
 
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