मुद्दा : आत्मनिर्भरता की नई पटकथा
मानव पूंजी प्रत्येक नागरिक की अपनी संपूर्ण सीमाओं तक निहित क्षमताओं की पहचान और उसके बौद्धिक विकास का प्रतीक होती है।
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इसीलिए माना जाता है कि जिस देश या प्रदेश की जनसंख्या का जितना अधिक हिस्सा शिक्षित, कुशल और प्रशिक्षित होकर रोजगार में नियोजित होता है, वह देश उतना ही तेजी से विकास करता है।
पिछले साढ़े चार वर्षो में उत्तर प्रदेश इस मर्म को कहां तक समझ पाया और कितनी प्रगति कर सका, इसे राज्य सरकार की विभिन्न पहलों और व्यापक पैमाने पर हुए युवा अभ्युदय के साथ-साथ सामाजिक पूंजी में हुए वैल्यू एडिशन के सापेक्ष देखने की जरूरत होगी। यह सवाल भी स्वयं से करना होगा कि उदारवाद और खुलेपन के साथ वैीकरण के उन दशकों में प्रदेश क्यों पिछड़ा जब देश एवं राज्य बाजारवाद की नई प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहे थे। यह भी कि आखिर इन दशकों में प्रदेश में बड़े उद्यम क्यों नहीं स्थापित हुए, लघु एवं मझौली इकाइयां दम क्यों तोड़ गई, युवा बेरोजगार क्यों हुआ, किसान लाचार क्यों हुआ और अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति अस्तित्व के संकट से क्यों गुजरने लगा? पूछना तो यह भी चाहिए कि वैीकरण के साथ-साथ जब दुनिया, प्रदेश, देश एवं राज्य सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के साथ लड़े, छद्म एवं छुपे युद्ध का सामना कर रहे थे, तब उत्तर प्रदेश की सरकारें इस अध्यात्म की धरती पर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अर्थव्यवस्था नेपथ्य की ओर धकेलने का कार्य क्यों करती रहीं? यही वे वजहें रहीं जो उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी तक ले गई और उन युवाओं को बेरोजगार बना गई जो उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की नई गाथा लिख सकते थे। योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्था में परिवर्तन के माध्यम से युवा प्रतिभाओं को राज्य में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में अपने कौशल का परचम फहराने के योग्य बनाने की दिशा में कदम उठाए, बल्कि प्रदेश के अंदर विभिन्न प्रकार की सेवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से व्यापक पैमाने पर जोड़ने का कार्य किया। सरकार ने इंटरप्रेन्योरशिप और स्टार्टअप कल्चर संस्कृति को बढ़ावा दिया जिससे युवा पीढ़ी जॉबसीकर या जॉबसर्चर से जॉब जनरेटर बनने की दिशा में बढ़ी। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तीव्र ग्रोथ के साथ-साथ समावेशिता और समरसता भी बढ़ी। फलत: प्रदेश की सामाजिक पूंजी में वृहत स्केल पर वैल्यू एडिशन हुआ।
ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दिशा में बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ‘5 पी’-यानी पोटेंशियल, पॉलिसी, प्लानिंग, परफाम्रेस और प्रोग्रेस-के मंत्र को अपनाते हुए ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ के तिहरे सूत्र पर फोकस किया। बहुत से अध्ययन स्पष्ट कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) पोटेंशियल की दृष्टि से सबसे बेहतर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे डिविडेंड में बदलने की रणनीति के साथ आगे बढ़े और युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के साथ-साथ प्रदेश को एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा।
ईज ऑफ डूईग बिजनेस इंडेक्स पर उत्तर प्रदेश 2017 में 14वें स्थान पर था, जो आज बड़े उछाल के साथ दूसरे स्थान पर है। इसका सीधा सा अर्थ है कि व्यवसायियों, उद्यमियों और निवेशकों ने योगी सरकार पर पूरा भरोसा जताया। इसने प्रदेश में पूंजी आगमन (कैपिटल इनफ्लो) के लिए राह आसान की। इसकी वृद्धिशील गतिशीलता (इक्रिमेंटल वोल्टैलिटी) बनी रहे, इसके लिए कनेक्विटी पर विशेष फोकस किया गया। फलत: प्रदेश में नई इंटरप्रेन्योर व स्टार्टअप संस्कृति का उदय हुआ। इससे विकास के साथ रोजगार (ग्रोथ विद जॉब) का मार्ग प्रशस्त हुआ। सरकार ने लाखों बीमार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों (एमएसएमई) का वित्त पोषण कर न केवल उन्हें पुन: संचालित किया, बल्कि लाखों की संख्या में नई इकाइयों की स्थापना भी की। अर्थशास्त्रीय आकलन के अनुसार प्रत्येक एमएसएमई 10 से 100 लोगों के लिए रोजगार सृजित करती है। इससे रोजगार के सृजन का अंकगणित कोई भी कर सकता है। उल्लेखनीय है कि एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन विभाग द्वारा र्थड पार्टी से कराए गए सर्वे में 95 लाख बैंक ऋण खातों में से 11 लाख खातों को रैंडम चुना गया। एमएसएमई में 4 लाख करोड़ के आसपास निवेश हुआ जिससे न केवल अर्थव्यवस्था को समावेशिता के साथ गति मिली, बल्कि साढ़े तीन करोड़ रोजगारों का भी सृजन हुआ। युवाओं को योग्यता, प्रतिभा और कौशल के अनुसार बड़े पैमाने पर रोजगार मिले इसके लिए 5 दिसम्बर, 2020 से ‘मिशन रोजगार’ की शुरु आत की गई। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने की व्यवस्था सरकार ने ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के अंतर्गत की है, जिसमें बड़े पैमाने पर युवा डिजिटल और प्रत्यक्ष माध्यमों से परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम, महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता तथा बैंकिंग कारस्पांडेंट सखी के रूप में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने की पहल..आदि के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को रोजगार से जोड़ने में व्यापक सफलता अर्जित की गई है। इंफ्रा परियोजनाओं एक्सप्रेसवे, स्टेट हाइवे, डिफेंस कॉरिडोर..आदि ने कनेक्टिविटी को व्यापकता प्रदान कर आर्थिक विकास तीव्र किया। रोजगार अवसरों के सृजन में निर्णायक भूमिका निभाई।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त कर सके, इसके लिए योगी सरकार ने प्रत्येक गांव और जनपद को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ की नई पटकथा लिखी है, जिससे युवाओं के लिए नये अवसर पैदा हुए। सामाजिक पूंजी में व्यापक रूप से वैल्यू एडिशन भी हुआ।
(आर्थिक एवं वैश्विक मामलों के विशेषज्ञ)
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