फर्जी बाबाओं का तिलिस्म तोड़ा जाए
राम रहीम को सजा एक ऐसी घटना है जिसे व्यापक फलक पर देखने और उससे सबक लेने की जरूरत है. यह महज बलात्कार की एक घटना भर नहीं है.
फर्जी बाबाओं का तिलिस्म तोड़ा जाए |
कस्टोडियल रेप का उदाहरण भर नहीं है. दो साध्वियों के साथ घटी ये घटनाएं तो प्रतीक हैं, उन करोड़ों लोगों की आस्था के साथ बलात्कार का, जो गुरमीत राम रहीम और उनके जैसे बाबा वर्षो से करते चले आ रहे हैं. पीड़ित सिर्फ साध्वियां नहीं, अनुयायी भी हैं जिन्हें अटूट आस्था के बदले शोषण का यह प्रसाद मिलता रहा है.
अपने अनुयायियों को नपुंसक बनाकर रखने की सामने आई घटना ने हर किसी को बेचैन कर दिया. सवाल यह भी है कि संगठित रूप से खड़े धर्म के जिम्मेदार लोग क्या कर रहे हैं? कोई भी इंसान तिलिस्म की चादर ओढ़कर जनता की आंखों में धूल झोंकते हुए ताकतवर हो जाता है. राजनीतिक तंत्र भी उसकी चाकरी लग जाते हैं. ऐसे ढोंग को कानून की पकड़ से बचाने के लिए पूरा तंत्र लग जाता है. लेकिन समाज का धार्मिंक ढांचा क्यों नहीं ऐसे लोगों पर नियंत्रण रख पा रहा है?
यह घटना साध्वी के अस्तित्व को मिटाने, रौंदते रहने का पुरुषवादी उदाहरण भी है, जिसके गुनहगार खुद वह बाबा हैं जो सांसारिक मोहमाया से ऊपर उठने का ढोंग करते हुए घूमते रहे हैं. लेकिन वे लोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं जो इन्हें समर्थन और सहयोग देते रहे हैं. आस्था के मंदिर में भगवान का छद्मरूप धारण करने वाला राक्षसी चरित्र तो उजागर हो चुका है. पर क्या आगे ऐसी घटनाएं रुक जाएंगी? अदालत यानी न्याय के मंदिर में बाबा का तिलिस्म टूटा है. आखिर अकेले न्याय के मंदिर से कब तक हम चमत्कार की उम्मीद करते रहेंगे? आस्था के नाम पर बाबाओं के शोषण की दुकानें बंद करने की जिम्मेदारी लेने के लिए समाज कब आगे आएगा?
आस्था के नाम पर करोड़ों भोले-भाले लोगों के विश्वास से खिलवाड़ करने वाली एक दुकान आखिरकार बंद हो गई. 28 अगस्त को सीबीआई की विशेष अदालत ने दो साध्वियों से रेप के दोष में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई. इसके एक दिन बाद ही हिसार की एक अदालत ने खुद को भगवान कहने वाले रामपाल पर देशद्रोह और हत्या के मामलों में राहत देने से इनकार कर दिया, तो बलात्कार के आरोपित एक और संत आसाराम बापू के मामले में तेजी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत के इन फैसलों से न सिर्फ खुद को भगवान बता कर शोषण करने वालों के माथे पर पसीना चुहचुहा आया है, बल्कि न्याय के प्रति शोषित तबके खास कर महिलाओं का विश्वास भी गहरा हुआ है.
इससे पहले शुक्रवार 25 अगस्त को चंडीगढ़ में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के दो मामलों में दोषी करार दिया था. देश में अपनी तरह का यह पहला मामला है, जब धर्मगुरु की गद्दी पर बैठे करोड़ों अनुयायियों की शक्ति रखने वाले किसी व्यक्ति को बलात्कार के मामले में सजा सुनाई गई हो. न सिर्फ अपने फैसले के चलते, बल्कि जिस तरह यह मामला शुरू हुआ और जिस तरह अदालत ने इस मामले में गहरी नजर रखते हुए कड़ी कार्रवाई की, वह भी ऐतिहासिक है.
दरअसल, सन 2002 में एक साध्वी की गुमनाम चिट्ठी के बाद बाबा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. चिट्ठी में बाबा का चिट्ठा खोलते हुए बताया गया था कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम डेरा में साध्वियों का यौन शोषण करता है. मामले की जांच सीबीआई के हाथों में आ गई और 15 साल की छानबीन और मुकदमे की कार्यवाही के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बलात्कार के मामलों का दोषी करार दिया.
इसके बाद सरकार पर दबाव बनाने के लिए डेरा समर्थकों ने कई राज्यों में तोड़फोड़ और आगजनी की. राजनीतिक ढीलवाही और लचर प्रशासनिक रवैये के चलते हरियाणा में सैकड़ों वाहन जला कर राख कर दिए गए. उपद्रव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में पुलिस बल भी प्रदर्शनकारियों के हमले से डर कर भागता नजर आया. कई सरकारी दफ्तरों और रेलवे स्टेशन आगजनी के शिकार हुए और ट्रेन के डिब्बे जला दिए गए हिंसा को देखते हुए 25-26 अगस्त को पंजाब और हरियाणा से गुजरने वाली करीब साढ़े तीन सौ ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं.
घबराई सरकार को अपने दफ्तरों समेत स्कूल और कॉलेज बंद करने पड़ गए और मोबाइल-इंटरनेट सेवाएं तक ठप रखनी पड़ीं. बाद में सेना ने उपद्रवियों के खिलाफ मोर्चा संभाला और फ्लैग मार्च किया. सेना के आने के बाद हालात काबू में आ सके जिसके बाद पुलिस ने हजारों डेरा समर्थकों को गिरफ्तार किया. उधर, एक दिन बाद ही हिसार की एक और अदालत ने कथित संत रामपाल पर देशद्रोह, हत्या और बंधक बनाने के मामले जारी रखने और रामपाल को जेल से रिहा न करने के आदेश दे दिए. कभी सिंचाई विभाग का जूनियर इंजीनियर रह चुका 67 वर्षीय रामपाल ख़्ाुद को संत और चमत्कारी अवतार बताता है. दूध से नहाने वाले इस कथित चमत्कारी अवतार की गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों ने खूब उपद्रव किया था जिसमें कई लोग मारे गए थे.
आस्था के नाम पर दुकान चलाने और लोगों, खास कर महिलाओं का शोषण करने वाले इन कथित भगवानों पर अब न्याय की नजर टेढ़ी हो गई लगती है. जिस दिन सीबीआई की अदालत ने राम रहीम को सजा सुनाई, उसी दिन नाबालिग से बलात्कार के आरोपित संत आसाराम बापू को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा कि इस मामले की सुनवाई जल्दी क्यों नहीं हो रही है? आसाराम पर अगस्त 2013 में जोधपुर में अपने आश्रम में एक नाबालिग के साथ दुराचार करने का आरोप है. आसाराम पर धारा 342, बंधक बनाने, 376 यानी बलात्कार और 506 यानी आपराधिक हथकण्डे अपनाने के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. एफआईआर के बाद आसाराम की गिरफ्तारी के वक्त भी उनकी दुकान चलाने वाले समर्थकों ने तोड़फोड़ और हंगामा किया था.
यह बात भी गौर करने वाली है कि यौन हमलावर इन बाबाओं के मामलों में अदालतें फैसले सुना कर चुप नहीं बैठी हैं बल्कि राजनीतिक हथकंडों पर भी उसकी कड़ी नजर है. गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार के साथ ही राम रहीम के मामले में भी अदालत ने सख्त रु ख अपनाया है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार से डेरे की संपत्ति की सूची मांगते हुए निर्देश दिया है कि हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई डेरा की संपत्ति बेचकर की जाए. यानी राम रहीम की गिरफ्तारी के समय सरकार ने राजनीतिक तिकड़म के लिए जो रवैया अपनाया, वह नहीं चलेगा.
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