समझना होगा आधार का महत्त्व
सकारात्मक सोच के साथ जब कोई पौधा रोपा जाता है तो उससे मिलने वाले फल और अन्य लाभों का पहले से ही आकलन कर लिया जाता है.
![]() समझना होगा आधार का महत्त्व (फाइल फोटो) |
यह बात दीगर है कि यह पौधा लाभ देने की स्थिति में पहुंच पाता है अथवा नहीं. कई बार देखा जाता है कि विभिन्न कारणों से यह पौधा लाभ देने से पहले ही ओझल हो जाता है. इस स्थिति में तमाम उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. इसी तरह सरकारी योजनाएं भी सकारात्मक सोच के साथ तैयार की जाती हैं. हालांकि इसके क्रियान्वयन के समय इसमें कुछ खामियां उजागर हो सकती है. लेकिन अच्छी सोच के साथ लागू किया जाए उसका फायदा जरूर मिलता है.
यूपीए सरकार ने जब लोगों को व्यक्तिगत रूप से एक विशिष्ट पहचान देने के लिए आधार कार्ड की शुरुआत की थी तब इसका कई मोर्चों पर भारी विरोध हुआ था. मगर अब यह योजना परिपक्व हो चुकी है. अर्थव्यवस्था में इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं. समय की जरूरत है कि आधार के महत्त्व को समझा जाए. आधार के जरिये सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी भ्रष्टाचार की जड़ों को काफी हद तक नष्ट किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने रसोई गैस के बाद अब राशन की दुकानों से सस्ती दरों पर खाद्यान्न खरीदने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है.
इसका मकसद खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1.4 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी को सही लोगों तक पहुंचाना है. खाद्य सुरक्षा कानून के तहत प्रति व्यक्ति एक से तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर पांच किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया जाता है. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है. गांवों में राशन डीलरों ने सैकड़ों की संख्या में फर्जी राशन कार्ड बनवा रखे हैं. यही नहीं, ऐसे लोगों के नाम से भी राशन कार्ड बनवा लिये गए हैं, जो गांवों में रहते भी नहीं है. इन राशन कार्डों पर मिलने वाले सस्ते खाद्यान्न को खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता है. शहरों में जिन इलाकों में राशन की दुकानें हैं, वहां भी कमोबेश यही स्थिति है.
बहरहाल, गरीबों को दी जाने वाली करोड़ों सब्सिडी भ्रष्टाचार के जरिये अमीरों की जेब में जा रही है. इस तरह के भ्रष्टाचार रूपी बीमारी के उपचार के लिए आधार कार्ड रामबाण साबित हो रहा है. सरकार ने नवम्बर, 2014 में रसोई गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी को आधार कार्ड से जोड़ा था. इस योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में भेजी जा रही है. जाहिर है जिन लोगों ने कई-कई रसोई गैस कनेक्शन ले रखे थे अब उन्हें सिर्फ एक ही कनेक्शन पर सब्सिडी का लाभ मिल रहा है. इस तरह आधार के इस्तेमाल से पिछले दो वित्त वर्ष में करीब 3.5 करोड़ फर्जी अथवा निष्क्रिय एलपीजी कनेक्शन बंद हो चुके हैं.
इस दौरान सरकार को सब्सिडी के रूप में 21,000 करोड़ रुपये की भारी बचत हुई है. राशन कार्ड से जुड़ा सरकार का यह आदेश असम, मेघालय और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में आठ फरवरी से लागू हो गया है. जिन लोगों के पास अभी तक आधार कार्ड नहीं है उन्हें 30 जून तक मोहलत दी गई है. ऐसे लोग आधार नंबर मिलने तक राशन कार्ड और आधार नामांकन की रसीद दिखाकर सस्ता खाद्यान्न खरीद सकते हैं.
सरकार का लक्ष्य है कि जून के अंत तक सभी राशन कार्डों को आधार नंबर से जोड़ दिया जाए ताकि इससे देशभर में फर्जी राशनकार्डों को बंद किया जा सके. खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ता राशन मुहैया कराने के लिए जो खाका तैयार किया गया है उसके उपभोक्ता को राशन का अनाज बाजार मूल्य पर खरीदना होगा. इस पर मिलने वाली सब्सिडी उसके बैंक खाते में सीधे भेजी जाएगी. केंद्र ने इसके लिए राज्य सरकारों को 30 जून तक आधार नंबर प्राप्त करने का लक्ष्य सुनिश्चित करने को कहा है. इसके एक माह के दरम्यान इन सभी आधार नबंर को बैंक खातों से जोड़ा जाएगा. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी एक जुलाई से राशन से मिलने वाले अनाज की सब्सिडी रसोई गैस की तरह सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाएगी.
इस योजना से शुरुआती दौर में कुछ लोगों को असुविधा हो सकती है. कुछ लोग इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. राष्ट्र और जनहित में सरकार की इस पहल का पहल का स्वागत किया जाना चाहिए. इसके जरिए आम आदमी की खून-पसीने की कमाई से टैक्स के रूप में जुटाई गई रकम को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से बचाया जा सकेगा.
| Tweet![]() |