वैश्विकी : निषेधात्मक वातावरण के मूल में जो है
हाल ही में इंग्लैंड के अप्रवासन न्यायाधिकरण ने पाकिस्तानी मूल के चार ब्रिटिश नागरिकों की नागरिकता समाप्त करने और उन्हें पाकिस्तान वापस भेजने का आदेश दिया है.
![]() डॉ. दिलीप चौबे, लेखक |
ये चारों 2004 में पकड़े गए थे. इनके खिलाफ बारह-तेरह साल की अवयस्क श्वेत बच्चियों को नशे की गोलियां खिला कर उनके साथ बलात्कार करने का आरोप था.
इंग्लैंड के समाज और विशेषकर श्वेत नागरिकों में इस घटना की तीखी प्रतिक्रिया हुई. उत्तरी इंग्लैंड के रोस्डेल में श्वेत बच्चियों के साथ हुई इस क्रूर और अमानवीय यौनाचार की यह घटना से यह समझा जा सकता है कि यूरोप और अमेरिकी समाज में मुसलमानों के खिलाफ नफरत और आक्रोश का वातावरण आखिर क्यों जंगल की आग की तरह फैल रहा है? यह सवाल अन्य धार्मिक समुदायों के साथ-साथ पढ़े-लिखे मुस्लिम तबके के बुद्धिजीवियों को भी भीतर से मथने लगा है.
यह घटना 2012 की है. उस यौन अपराधी गैंग का सरगना शब्बीर अहमद था, जो इतने शातिर दिमाग का था कि उन बच्चियों के साथ अपनी हवस पूरा करने के बाद उनको दूसरों की हवस मिटाने के लिए सौंप दिया करता था. यूरोपियन अदालत ने उसे के 22 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के खिलाफ वह अप्रवासन न्यायाधिकरण में गया था. लेकिन उसकयाचिका को खारिज कर दिया था. तब से ये चारों मानवाधिकार की शरण में गए और दलील दी कि ब्रिटेन की सरकार यह असफलता है कि वह बच्चों को सुरक्षा नहीं दे पाती.
जज ने इनकी दलीलों को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इनका आचरण क्रूर और अमानवीय है, और वे समाज के लिए खतरनाक हैं. इन चारों ने यूरोपियन अदालत पर पक्षपात का आरोप लगाया और अपना मुकदमा अप्रवासन न्यायाधिकरण के पास ले गए. वहां से उनकी ब्रिटिश नागरिकता समाप्त करने और उन्हें देश छोड़ने का आदेश मिला. इस फैसले का समूचे इंग्लैंड में स्वागत हो रहा है.
यूरोप और अमेरिका में मुसलमानों के खिलाफ नफरत और आक्रोश का जिस तरह से वातावरण बन रहा है, उसका कारण सिर्फ आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं ही नहीं हैं. वास्तव में इस तरह की क्रूर सामाजिक घटनाएं भी इसके मूल कारण हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस तरह के बाल अपराधी श्वेत समुदाय के प्रति नफरत के कारण भी अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. शायद इसीलिए कॉर्ल मार्क्स ने कहा कि धर्म अफीम है. ज्यादातर मामलों में यह देखने में आता है कि धर्म और मजहब ऐसे ही शातिर असामाजिक तत्वों के हाथ के खिलौने रहे हैं.
किसी मजहब का मकसद किसी दूसरे मजहब की खिल्ली उड़ाना या उपहास करना, उसके खिलाफ नफरत फैलाना नहीं होता है. इस तरह से आपराधिक मानसिकता वाले किसी दूसरे मजहब के खिलाफ नफरत फैलाने का काम करते हैं. इन घटनाओं से सबसे ज्यादा चिंतित ब्रिटेन और अमेरिका के वे मुसलमान हैं, जो पढ़े-लिखे और समझदार हैं. यूरोप और अमेरिका में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया आदि मुस्लिम देशों के नागरिकों के आपराधिक व्यवहार ही हैं जिनके कारण हाल में संपन्न चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को भारी समर्थन मिला. इतने समर्थन की स्वयं ट्रंप तक ने कल्पना नहीं की थी. मुसलमानों के प्रति नफरत की एक वजह ऐसे अपराधी भी हैं.
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