सोशल मीडिया : शोहदों से निपटने का हौसला
औरतों को लेकर पिछड़ी मानसिकता वाले समाज की स्वाभाविक प्रतिक्रिया यह होती है कि जब वह स्त्री को किसी और तरीके से दमित नहीं कर पाता है, तो वह उसके चरित्र को लांछित करने का घृणित प्रयास करता है.
सोशल मीडिया : शोहदों से निपटने का हौसला |
राह चलते छेड़छाड़ से लेकर बलात्कार तक जैसे अपराध तो ऐसे लोगों के सबसे बड़े हथियार हैं ही, इसके अलावा भी ऐसी घृणित सोच वाले लोगों के पास स्त्री के चेहरे पर तेजाब फेंकने से लेकर उसकी अंतरंग और बनावटी व अश्लील तस्वीरें इंटरनेट के माध्यम से हजारों लोगों तक पहुंचाने जैसे तरीके उनके हाथ में होते हैं.
अब तो सोशल मीडिया के जरिये किसी स्त्री का पीछा करने, उसे अश्लील प्रस्ताव भेजने और यदि वह ना माने तो उस पर भद्दे कमेंट करने जैसी हरकतें भी आम हो गई हैं. इन तरीकों का सहारा लेकर वे या तो प्रेम-प्रस्ताव ठुकराने या किसी अन्य अपमान का बदला लेते हैं या खुद को या स्त्री से ऊपर साबित करने का असफल प्रयास करते हैं. प्राय: ऐसी स्थितियों में एक आम स्त्री सामाजिक अपमान के भय से मुंह सिलकर बैठ जाती है. पर इधर कुछ महिलाओं ने इंटरनेट के ऐसे शोहदों को जिस बेबाकी से बेनकाब किया है, उससे ऐसे अपराधियों से निपटने की एक नई राह खुलती दिखाई दे रही है. हाल में अमेरिका के मैरीलैंड पहुंची जुहू (मुंबई) की एक युवती तरुणा असवानी को एक साइबर अपराधी उनके ईमेल को हैक कर निकाली गई निजी तस्वीरों और वीडियो के बल पर ब्लैकमेलिंग शुरू की. उसने इन तस्वीरों-वीडियो के जोर पर कई घिनौने प्रस्ताव किए थे, जिन्हें नहीं मानने पर इन तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी दी थी. लेकिन तरुणा ने ऐसा नहीं किया. उसने फेसबुक पर खुलेआम आपबीती लिख डाली और उस साइबर अपराधी का खुलासा कर दिया. उसके पोस्ट के बाद मुंबई पुलिस भी सक्रिय हो गई और अमेरिकी जासूसों ने भी जांच शुरू कर दी. 12 हजार लोगों ने फेसबुक के जरिये तरु णा की सराहना करते हुए साइबर अपराधी को सजा दिलाने की मांग भी कर डाली.
गौरतलब है कि सामान्य स्थिति में ज्यादातर लड़कियां बरास्ता सोशल मीडिया मिल रही प्रताड़ना सह नहीं पाती है और कई बार बात आत्महत्या तक पहुंच जाती है. इसी साल, तमिलनाडु में 21 साल की ए.वीनूप्रिया ने फेसबुक पर अपनी कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें देखी थीं, और सामाजिक अपमान से बचने के लिए उसने आत्महत्या कर ली थी. सारी तस्वीरें कंप्यूटर पर फोटोशॉप आदि तरीकों से विकृत (मॉफ्र्ड) की गई थीं. आम समाज में लड़कियों को शोहदों से निपटने का यही तरीका तो अब तक सिखाया गया है, कोई रास्ते में छेड़छाड़ करे तो सिर नीचे करके चुपचाप वहां से निकल जाओ. गंदे कमेंट करे, तो ऐसे रिएक्ट करो मानो कुछ सुना ही न हो. सबक दिया जाता है कि आप किस-किस से उलझोगे? मगर हाल में तरु णा से पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिंष्ठा मुखर्जी ने इस मामले में एक मिसाल कायम की. उन्होंने फेसबुक पर अश्लील और गंदे संदेश भेजने वाले एक व्यक्ति को सोशल मीडिया के जरिये ही सबक सिखाने की मुहिम चलाई.
स्त्री छवियों को बिगाड़कर सोशल मीडिया के जरिये महिलाओं से बदला लेने की यह कोशिश दो तरीकों से समाज का नुकसान कर रही है. इससे एक ओर लक्षित महिला का सार्वजनिक जीवन इससे तबाह होता है. साथ में इसका असर उन बच्चों पर भी पड़ता है, जो इंटरनेट पर पहुंच रखते हैं. 2012-13 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश के शहरों में 17 साल से कम उम्र के 10 में से 6 किशोरों के पास इंटरनेट कनेक्शन वाला स्मार्टफोन है. ये बच्चे-किशोर फोन का इस्तेमाल बात करने के बजाय सोशल मीडिया पर चैटिंग और वेब सर्चिग के लिए करते हैं. साइबर स्पेस में अपना ज्यादातर वक्त बिताने वाली इस नई पीढ़ी के लिए खतरा यह है कि वह या तो इंटरनेट पर डाली जाने वाली अश्लील सामग्री की चपेट में आ जाए या नफरत फैलाने वाले समूहों की ओर से मिलने वाली ऑनलाइन धमकियों की शिकार हो जाए. यह खतरा वास्तविक है क्योंकि इंटरनेट पर किसी भी खोज के परिणाम में मिलने वाली सामग्री में आधे से ज्यादा अश्लील होती है. अश्लीलता का यह प्रचार-प्रसार ही बिगड़ैल नौजवानों को लड़कियों-स्त्रियों का सोशल मीडिया पर पीछा करने (ट्रोलिंग) के लिए उकसावे का काम करता है.
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