आईटी सेक्टर : रोजगार पर संकट

Last Updated 26 Oct 2016 04:41:07 AM IST

यकीनन एक वर्ष पहले तक देश के आईआईटी और एनआईटी से लेकर सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में जिस तरह से कम्प्यूटर-आईटी ब्रांच के स्टूडेंट्स को देखते ही देखते कैम्पस प्लेसमेंट से अच्छा जॉब मिल जाता था.


आईटी सेक्टर : रोजगार पर संकट

वहीं इस वर्ष इन दिनों कैम्पस प्लेसमेंट में करीब 20 फीसद की कमी दिखाई दे रही है. वेतन पैकेज भी पिछले साल कि तुलना में कम होते हुए औसतन 90 फीसदी के करीब दिखाई दे रहा है.

हाल ही में वैश्विक सॉफ्टवेयर, डाटा और मीडिया कंपनी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट-2016 के अनुसार भारतीय आईटी उद्योग की चमक-धमक कम होती जा रही है. स्थिति यह है कि भारतीय आईटी उद्योग धीरे-धीरे ऐसी स्थिति में पहुंच रहा है, जहां से उबरना मुश्किल होगा. स्थिति यह है कि वर्ष 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के दौरान भी भारतीय आईटी कंपनियां तेजी से वृद्धि करती हुई दिखाई दी. लेकिन इस समय आईटी उद्योग की वृद्धि पटरी से उतरी हुई है और वह बड़े हालात के खतरे की ओर संकेत भी करती है.

देश की दो बड़ी आईटी कंपनियों टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और इंफोसिस ने कहा कि वर्ष 2016 में आईटी सेक्टर के ढलान पर होने से उनकी कारोबार की चिंताएं बढ़ी हैं. टीसीएस से लगाकर इंफोसिस, विप्रो, टेक महिन्द्रा और कागिजेंट जैसी नामी आईटी कंपनियों के शेयर लुढ़क गए हैं. निसंदेह इन दिनों छलांगें लगाकर बढ़ते हुए भारतीय आईटी उद्योग में मंदी की आहट सुनाई पड़ रही है.

आईटी के परिदृश्य पर तीन तरह की बड़ी चिंताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं. पहली चिंता आईटी कारोबार घटने से संबंधित है. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने (ब्रेक्सिट) के कारण यूरोप और ब्रिटेन में कारोबार घटने के कारण क्लाइंट्स की बेरुखी दिखाई दे रही है. अमेरिका के बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा उद्योग से जुड़े ग्राहकों ने भी विवेकाधीन खर्च रोक दिए हैं. वैश्विक उथल-पुथल के बीच ग्राहकों का आउटलुक सतर्कता भरा है और बिजनेस को लेकर भरोसा कमजोर है. दूसरी चिंता अमेरिका से आउटसोर्स हो रही आईटी नौकरियों को कड़ाई से रोकने के लिए अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में विधेयक प्रस्तुत होने से संबंधित है. इसके समर्थन में अमेरिका की कई आईटी क्लाइंट साइट पर माहौल तैयार किया जा रहा है. साथ ही दुनिया के कई विकसित देश संरक्षणवादी नीतियों को प्रोत्साहन देते हुए दिखाई दे रहे हैं.

तीसरी चिंता नई तकनीक के कारण आईटी कंपनियों में नौकरियों में भारी कमी आने से संबंधित है. नई तकनीक जैसे ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और कृत्रिम इंटेलीजेंस व्यवस्था बढ़ने के कारण भारत की आईटी कंपनियों में निचले और मझोले स्तर पर नौकरियों की भारी कमी हो गई है.

हाल ही में अमेरिका के ख्यात सर्विस रिसर्च संगठन ‘एचएफएस’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आईटी सेवा उद्योग में 6.4 लाख निम्न कौशल वाले लोगों की नौकरियां अगले 5 साल में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और कृत्रिम खुफिया व्यवस्था बढ़ने की वजह से जा सकती हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 तक वैश्विक रूप से आईटी नौकरियों में 9 प्रतिशत कमी आएगी. घटती नौकरियों में आईटी से सम्बद्ध ज्ञान क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ औद्योगिक व सेवा क्षेत्र के कर्मचारी भी दिखाई देंगे.

इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि सॉफ्टवेयर उद्योग में हमारी अगुवाई की मुख्य वजह हमारी सेवाओं और प्रोग्राम्स का सस्ता होना है. अतएव इस स्थिति को बरकरार रखने के लिए हमें तकनीकी रूप से दक्ष लोगों की उपलब्धता बनाए रखनी होगी. भारतीय कंपनियों को आगे बढ़कर अपनी क्षमता निर्माण को मजबूत करना होगा. एक ऐसे क्षेत्र में जहां पुरानी तकनीक बहुत जल्दी बाजार से बाहर हो जाती है, वहां नई तकनीकों के साथ तालमेल बिठाना बेहद जरूरी है. हमें देश में ट्रेंड और स्किल्ड आईटी जानकारों की फौज खड़ी करनी होगी.

यह भी ध्यान रखना होगा कि विश्व में जिस तेजी से आटी उद्योग आगे बढ़ रहा है, उसके  मद्देनजर वर्ष 2020 तक दुनिया के विकसित देशों में आईटी पेशेवरों की भारी कमी होगी. अगले 15-20 सालों में कम उम्र के आईटी पेशेवरों की कमी की भरपाई करने के  लिए उन लाखों युवाओं को भी बुनियादी आईटी प्रािक्षण देना होगा, जिनका आईटी बैकग्राउंड नहीं है. हमें सूचना प्रौद्योगिकी की स्तरीय शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश करना होगा.

अच्छी अंग्रेजी, बेहतर उच्चारण, संवाद दक्षता, व्यापक कम्प्यूटर ज्ञान और उच्च शैक्षणिक गुणवत्ता जैसी प्रमुख विशेषताओं से सुसज्जित होकर देश और दुनिया में भारतीय प्रतिभाएं अपना दबदबा बनाए रख सकेंगी और भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत बनी रहेगी. हमें सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करके अन्य देशों में भी कदम बढ़ाने होंगे. यूरोप के अलावा एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के लिए व्यापक संभावनाएं हैं. आउटसोर्सिग के रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाने के साथ ही इससे जुड़ी कई जरूरतों पर ध्यान देना होगा.

हमें आउटसोर्सिग विशेषज्ञ एल्सब्रिज के आंतरिक अनुसंधान विभाग की इस रिपोर्ट पर भी ध्यान देना होगा कि  बेंगलुरू, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, हैदराबाद जैसे शहरों में जबर्दस्त सफलताओं के बाद इन शहरों की सीमाओं और समस्याओं को देखते हुए अब आईटी उद्योग को जयपुर, लखनऊ  और इंदौर में विस्तारित किया जाना चाहिए. हमें आईटी क्षेत्र में बढ़त बनाए रखने के लिए एयरपोर्ट, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी क्षेत्र में तेजी से विकास करना होगा. आईटी उन्नयन के ऐसे प्रयासों से भारत का आईटी उद्योग प्रतिद्वंद्वी देशों से मिल रही चुनौतियों का सामना कर सकेगा. चूंकि नई तकनीकें बड़ी संख्या में आईटी कर्मचारियों को बेकार और अप्रचलित बना रही हैं.

ऐसे में आईटी कंपनियों द्वारा कर्मचारियों के डिजिटल तकनीक और डिजाइन थिंकिंग जैसे नए प्रशिक्षण पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि आईटी का कारोबारी माहौल बना रह सके और आईटी उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. यहां पर वैश्विक कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के सीईओ जेफ इमेल्ट की सीख उल्लेखनीय है कि कंपनी से जुड़ने वाले हर युवा को केवल प्रोग्रामिंग के लिए ही नहीं वरन मार्केटिंग और फाइनेंस के लिए भी कुछ कोर्स सीखने की जरूरत है. इसलिए भारतीय आईटी कंपनियों को कोडिंग और मेंटनेंस से आगे बढ़कर समन्वित विशेषज्ञ सेवाओं की पेशकश भी करनी होगी. हम आशा करें कि सरकार सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की चमक बनाए रखने के लिए रणनीतिक प्रयासों को गति देगी, जिससे रोजगार के संकट टलेंगे.

जयंतीलाल भंडारी
लेखक


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