काशी से लखनऊ की कुर्सी पर कब्जे की कोशिश
Last Updated 25 Oct 2016 02:17:20 PM IST
उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दल जहां आपसी लड़ाई से दो-चार हो रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र नगरी काशी (वाराणसी) से विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
प्रधानमंत्री ने 24 अक्टूबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को आठ बड़ी योजनाओं की सौगात दी. प्रधानमंत्री काशी को क्योटो की तर्ज पर विकसित करना चाहते हैं. इसके लिए वह शहर के विकास के लिए अब तक 20 हजार करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का तोहफा दे चुके हैं.
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार 7 नवंबर 2014 को वाराणसी पहुंचे थे. उस समय उन्होंने बुनकरों के लिए ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर का शिलान्यास किया.
इसके बाद प्रधानमंत्री ने यहां 25 दिसंबर 2014 को 500 करोड़ की लागत से महामना राष्ट्रीय शिक्षक और शिक्षण मिशन की शुरुआत की. इसके साथ ही उन्होंने डीरेका में 300 करोड़ से अत्याधुनिक वर्कशॉप की आधारशिला भी रखी.
इसके बाद 18 सितंबर 2015 को उन्होंने 572 करोड़ की लागत वाली आईपीडीएस योजना और बनारस से बाबतपुर तक 629 करोड़ की चार लेन वाली सड़क का शिलान्यास किया.
उनका सबसे महत्वपूर्ण दौरा 12 दिसम्बर 2015 को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ हुआ जिसमें क्योटो की तर्ज पर बनारस का विकास करने की बात शुरू हुई.
इस साल प्रधानमंत्री 22 जनवरी और एक मई को बनारस आए. हर बार बनारस के साथ राज्य के विकास के लिए काफी कुछ देकर वह यह संदेश देने में कामयाब रहे कि वे एक विकास पुरुष हैं और अगर राज्य में बीजेपी के सरकार बनी तो केंद्र के साथ मिलकर इसे बुलंदियों पर पहुंचा दिया जाएगा.
बनारस के साथ-साथ प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों का भी दौरा कर राज्य को काफी कुछ दे चुके हैं. गोरखपुर में एम्स और खाद कारखाना की आधारशिला रखी. सोनौली-गोरखपुर राजमार्ग के लिए 570 करोड़ और गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग के लिए 650 करोड़ रुपए दिए. पिछले साल नोएडा में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट की नींव रखी. जबकि इस साल अप्रैल में नोएडा में उन्होंने स्टैंड अप इंडिया स्कीम की शुरुआत की.
उरी हमलों ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया था लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पार्टी एक बार फिर बढ़त लेती दिख रही है. पार्टी कार्यकर्ता फिर से जी-जान लगाकर लखनऊ में भी पार्टी की सरकार बनाने के लिए जुट गए हैं.
मुलायम और अखिलेश परिवार की आपसी लड़ाई में फंसे हैं. राहुल गांधी की खाट सभा अब नेपथ्य में हैं और बीएसपी सुप्रीमो मायावती दलित-मुस्लिम एजेंडे को धार देने में विफल रही हैं.
ऐसे में नरेंद्र मोदी ताबड़-तोड़ रैली कर पार्टी के पक्ष में चली हवा को वोट में बदलने के लिए कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहते. आखिर लोकसभा चुनाव में राज्य ने 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटें देकर बीजेपी को 282 के आंकड़े तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है.
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