टू दि प्वाइंट : मेरी सिंधु, तेरा पानी
नहीं मिलेगा पानी, देख लेंगे, ऐसी-तैसी-जब ऐसी आवाजें आती हैं तो कनफ्यूजन-सा मच लेता है कि ये आवाजें भारत-पाक रिश्तों के सिंधु-नदी संदर्भ में आ रही हैं या कर्नाटक-तमिलनाडु के संबंधों के कावेरी-जल-विवाद संदर्भ में.
टू दि प्वाइंट : मेरी सिंधु, तेरा पानी |
सिंधु के जल पर मारकाट का मौसम आ गया है अब. कुछ रक्षा-एक्सपर्ट का कहना है कि सिंधु का पानी रोक लो, पाकिस्तान प्यासा परेशान हो जायेगा. मेरी चिंताएं दूसरी हैं, पानी रोक तो लोगे, पर पानी रोक कर रखा कहां जायेगा.
उसके लिए बांध बनाना पड़ेगा, बांध बनेगा तो घपले होंगे, बांध पानी के हो सकते हैं. घपलों पर बांध का कोई इंतजाम नहीं है भारत में. हमसे गंगा-जमुना नहीं संभलतीं, सिंधु कैसे संभालेंगे. कई टीवी चैनलों के प्रोड्यूसरों ने अभी से सिंधु पर आधारित कार्यक्रमों के नाम सोच लिये हैं-राम तेरी सिंधु मैली, सिंधु की सौगंध, सिंधु मांगे खून, तड़पा के मारूंगा, मेरी सिंधु तेरा पानी.
मुझे दूसरा खतरा ज्यादा बड़ा लगता है कि पाकिस्तान की तरफ से यह मांग न आ जाए कि पाक को दोबारा भारत में शामिल कर लिया जाये ताकि सिंधु के पानी का मसला फिर भारत का सुप्रीम कोर्ट तय कर ले. भारत-पाक एक हो जाएं तो भी सिंधु के पानी के बंटवारा आसान नहीं है. कर्नाटक-तमिलनाडु ही कावेरी के पानी के मसले हिंदुस्तान-पाकिस्तान हुए जा रहे हैं. फिर सिंधु पर मचा सचमुच का हिंदुस्तान-पाकिस्तान बहुत ही मारक साबित होगा.
कइयों को लगता है कि भारत-पाक एक हो जाएं तो बहुत आफतें खत्म हो सकती हैं. ऐसा नहीं है. दोनों एक हो जाएं तो कई नई आफतें उठ खड़ी भी ही सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट कावेरी का मसला सुलझाने की कोशिश कर रहा है, न सुलझा पा रहा है. फिर सिंधु के मसले पर सुप्रीम कोर्ट को नये सिरे से कवायद करनी होगी. पाक नेता इमरान खान हर महीने एक नये धरने की स्कीम बनाते हैं. दिल्ली फिर दुनिया की धरना-राजधानी हो जायेगी.
इमरान खान का टैंट परमानेंट ही जंतर-मंतर पर हो जायेगा. और सबसे खराब शर्मनाक मसला तब उठ खड़ा होगा, जब मौला जट जैसी तमाम घटिया पाकिस्तानी फिल्मों को भी हमें भारतीय फिल्में ही मानना पड़ेगा. हम तो राज रीबूट पर शर्मसार ही होते हैं. मौला जट को भारतीय मानना पड़ा, तो इसी की शर्म में डूब मरना पड़ेगा.
| Tweet |