कश्मीर उत्पात के पक्षधर उपदेश
उपदेश देना आसान है. इससे ज्यादा आसान कोई काम नहीं. कश्मीरी उपद्रवों को लेकर उपदेशों की अति है.
कश्मीर उत्पात के पक्षधर उपदेश |
मसलन सुरक्षा बल संयम बरतें. पैलेट गन का इस्तेमाल न करें. आमजनों पर बल प्रयोग न करें. आदि आदि. इसका अर्थ खतरनाक है. क्या इसका अर्थ यही नहीं है कि सुरक्षा बलों पर बम चलें, वे शांत रहें. वे हिंसक तत्वों पर पैलेट गन से सामान्य कार्रवाई भी न करें. वे आत्मरक्षा भी न करें. उपदेशकों के सारे सम्बोधन सुरक्षाबलों के लिए हैं. वे पत्थर या बम चलाने वाले तत्वों से भी अपील कर सकते थे कि भैय्या सुरक्षा बलों पर पत्थर न चलाओ. सुरक्षा बलों पर बम चलाओगे तो यह अपराध ही नहीं, राष्ट्र राज्य से युद्ध होगा. पाकिस्तानी झंडा न फहराओ.
उपदेशक स्वयं को विद्वान समझते हैं. उनकी विद्वान दृष्टि सुरक्षा बलों के कामकाज तक ही सीमित है. उपदेशकों के पेट में अनेक दर्द हैं. वे समस्या का राजनैतिक हल निकालने का उपदेश दे रहे हैं. पूर्व गृहमंत्री चिदम्बरम् ने स्वायत्तता का राग छेड़ दिया है. चिदम्बरम् बहुपठित हैं, लेकिन उन्होंने स्वायत्तता की परिभाषा नहीं की. इस समय स्वायत्तता का जो अर्थ निकलता है, वह भयावह है. स्वायत्तता के सही अर्थ में ऐसी ही और बाते भी हैं. जैसे आतंकी की मौत के जनाजे के साथ चलने वाले सुरक्षा बलों की हत्या करते रहें. वे पाकिस्तान की पक्षधरता और भारत विरोध को भी स्वायत्तता की श्रेणी में रखते हैं. हरेक उपदेशक की स्वायत्तता का अपना अर्थ है. 26 जून 2000 में राज्य विधानसभा ने स्वायत्तता प्रस्ताव किया था.
स्वायत्तता का यह प्रस्ताव गौरतलब है, कि अनु. 370 के पहले दर्ज ‘अस्थायी’ शब्द हटाइए. इस राज्य में अनु. 324 निर्वाचन आयोग के अधिकार हटाइए. अनु. 355 केन्द्र द्वारा राज्यों को निर्देश के अधिकार, 356 राज्य सरकार की बर्खास्तगी के साथ ही 357, 358 और 360 भी यहां लागू न हों. सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता (अनु. 218, 220, 222 व 226) इस राज्य से समाप्त कीजिए. इसी तरह के ढेर सारे संवैधानिक उपबंधों के साथ ही संसदीय कानूनों की सवरेपरिता (अनु. 254) से भी राज्य को मुक्त किए जाने की मांग की गयी. भारत भक्त जम्मू कश्मीरी समाज ऐसी स्वायत्तता बर्दास्त नहीं कर सकता.
कश्मीर भारतीय संस्कृति, ज्ञान दर्शन का गढ़ रहा है. अथर्ववेद की पिप्पलाद शाखा का विकास यहीं हुआ था. 1875 में पिप्पलाद शाखा की एक हस्तलिखित प्रति तत्कालीन कश्मीरी राजा ने जर्मन विद्वान राथ को भेंट की थी. यह 1901 में अमेरिका से छपी भी थी. पिप्पलाद दर्शन के विद्वान थे. देश के दूर-दूर के प्रदेशों से 6 दार्शनिक तत्वज्ञान के लिए पिप्पलाद के कश्मीरी आश्रम पहुंचे थे. छहों ऋषियों दार्शनिकों ने पिप्पलाद से संसार और परम तत्व सम्बंधी प्रश्न किये थे. पिप्पलाद ने छहों विद्वानों के प्रश्नों के उत्तर दिये थे. यह प्रश्नोत्तर ‘प्रश्नोपनिषद्’ कहलाया. भारतीय दर्शन के विद्यार्थी प्रश्नोपनिषद् से प्यार करते हैं. कल्हण की राजतरंगिणी यहीं उगी थी. यह इतिहास का भाग है और नीति का शास्त्र भी. इस्लाम के आने के बाद यहां का चरित्र बदला. 1974 में श्रीमती इन्दिरा गांधी और शेख अब्दुल्ला के बीच समझौता हुआ था. इस समझौते में अशांति, उपद्रवों को रोकने के लिए राष्ट्र के अधिकार की मान्यता स्वीकार की गई थी. उपदेशक बताएं कि पत्थर और बम चलाने वाले पाकिस्तान से प्रेरित ऐसे अराजक तत्वों से किस भाषा में प्रार्थना की जाये?
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