कटाक्ष : हाय महंगाई

Last Updated 30 Jul 2016 05:16:11 AM IST

लीजिए, विपक्षवालों को पीएम जी से एक और शिकायत हो गई. कह रहे हैं कि स्टार्ट अप, स्टैंड अप, स्किल अप, मेक इन वगैरह सब की बातें तो पीएम जी खूब करते हैं.


कटाक्ष : हाय महंगाई

पर महंगाई का जिक्र कभी नहीं करते हैं. सच पूछिए तो पीएम के न बोलने की शिकायत करने का फैशन ही चल पड़ा है. इससे पहले, गुजरात में गोरक्षा के चक्कर में दलित पिट गए, तो इसकी शिकायतें हो रही थीं कि पीएम जी दलितों के मामले में क्यों चुप हैं?

कश्मीर की आग तेज हुई तो इसकी शिकायतें दर्ज कराई जा रही थीं कि पीएम कश्मीर पर क्यों नहीं बोलते? अखलाक मारा जाए या उत्तराखंड की सरकार गिर जाए, शिकायत सिर्फ पीएम जी से कि कुछ बोलते क्यों नहीं?

भाई लोगों ने शिकायत कर के ये हाल कर दिया है कि बेचारा इतना बोलने वाला प्रधानमंत्री भी, मौनमोहन की तर्ज पर मौन मोदी सुनाई देने लगा है.

बात-बात पर पीएम जी के न बोलने की शिकायत करने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि पीएम जी गांधी के अनुयाई हैं, महात्मा वाले गांधी के. यह इसके बावजूद है कि सुब्रमण्यम स्वामी के हिसाब से अभी तक यह शक के घेरे में है कि अंत में उनके हिस्से में गोलियां कितनी आई थीं--दो या तीन! पर वह सब बहुत बाद की बात है.

पीएम पिछली बार तो दक्षिण अफ्रीका में वह वाली रेल यात्रा भी कर आए हैं, जिसने पहले दज्रे से उतारकर गांधी को उनका तीसरा दर्जा याद दिलाया था और गांधी से महात्मा बनाया था. यानी पीएम जी अब तो बीसियों किलोमीटर महत्मा जी के रेल-चिह्नों पर भी चल चुके हैं. कम से कम अब उनसे महंगाई जैसी किसी भी बुरी चीज का नाम लेने की उम्मीद कोई न करे.

बापू ने कहा नहीं था कि बुरी चीज का जिक्र करना ही बुरा? उन्होंने तो बुरा बोलने की ही नहीं देखने, सुनने की भी मनाही की थी. पता नहीं पीएम जी अभी उतने महात्मा हो भी पाए हैं या सिर्फ न बोलने से ही काम चला रहे हैं. वैसे भी हाय महंगाई, हाय महंगाई करने से महंगाई बढ़ती भले न हो, कम हर्गिज नहीं होगी. फिर पीएम जी उसका गंदा नाम लेकर अपनी पवित्र जुबान गंदी क्यों करें!

कबीरदास
लेखक


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