मीडिया-फाइटर

Last Updated 26 Jun 2016 05:09:27 AM IST

बहुत से मीडिया-फाइटर देखे. एक से एक देखे. लोहिया जी देखे. राजनारायण जी देखे.


सुधीश पचौरी

सब देखे लेकिन जैसी बैक-टू-बैक मीडिया-फाइट स्वामी जी मारते हैं, वैसी किसी ने मारी. लोहिया और राजनारायण की फाइटें स्वामी जी की फाइटों की तुलना में बेहद स्लोमोशन में होतीं. अखबारों के कॉलमों में होती तस्वीरों में होती. संसद लगती तो तेज हो जातीं. वे खबर बन जातीं. चरचे में आ जातीं.

स्वामी जी सच्चे मीडिया फाइटर हैं. उनकी फाइटें सुबह उनके ट्वीट से शुरू  होती है या कैमरे के आगे दिए गए बयान से होती हैं और सर्वत्र छा जाती हैं. मंत्री और अधिकारी सब हिल जाते हैं. वे लगभग हर दिन एक निशाना लगाते हैं. निशाना एकदम तीखा और अचूक होता है और इतना तिरछा होता है कि लगाया किसी को जाता है दर्द किसी को उठता है दर्द का जवाब कोई और देता है और विपक्ष आनंद लेता है टीवी दर्शकवर्ग का पैसा वसूल होता है चैनलों को पूरे दिन बहसियाने के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल जाता है.

चैनल उनके हमले को उठाते हैं दिन भर बजाते हैं. हमले को अथेंटिक बनाने के लिए स्वामी जी को मीडिया से हमेशा मुखातिब दिखते हैं. स्वामी जी बिना थके बोलते दिखते हैं और कहते दिखते हैं कि जो आरोप वे लगा रहे हैं, उनके पक्के प्रमाण उनके पास हैं. एक दिन उनने ‘जेम्स बांड’ के रूप में विख्यात रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर आरोप लगा दिए कि उनकी नीतियां नुकसानदेह हैं.

वे ग्रीनकार्ड वाले हैं, इत्यादि. उनको बर्खास्त करना चाहिए. मीडिया में हड़कंप मच गया लेकिन हवा का रुख भांप राजन ने शराफत से कह दिया कि उनको दूसरा टर्म नहीं चाहिए. रघुराम का पक्ष किसी ने न लिया रघुराम राजन की विदाई का श्रेय स्वामी जी के नाम गया! इससे हौसला बढा.

अगले रोज एक गोला वित्त मंत्रालय में सलाहकार सचिव अरविंद सुब्रमण्यम पर दागा. वित्तमंत्री जेटली को बचाव में आना पड़ा कि अरविंद असेट हैं, अनुशासित अध्किारी हैं. तब स्वामी जी ने कहा कि कैसे असेट हैं वे देखेंगे! अगले रोज फिर उनने ट्वीट गोला दागा. इस बार निशाने पर रहे नौकरशाह शशिकांत दास. फिर जेटली को बचाव में आना पड़ा. इस बीच मीडिया में स्वामी जी की निशानेबाजी दिलचस्पी का विषय बन गई. कई जानकारों ने कहना शुरू किया कि वे ‘अनगाइडेड मिसाइल’ हैं या कि ‘लूज कैनन’ यानी ‘खुली तोप’ हैं. जिसका निशाना कहां जाकर लगेगा, शायद दागने वालों को भी पता नहीं रहता. स्वामी जी के इरादों पर उंगली रखने वाले दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनका असली निशाना जेटली हैं!

भाजपा की भद्द पिटने लगी. मीडिया के लोग पूछने लगे कि यह कैसी अनुशासनप्रिय पार्टी है कि उसी का एक सदस्य हाथ धोकर अपनी सरकार के आला अधिकारियों के पीछे पड़ गया है. खुद को ‘चाल’, ‘चरित्र’ और ‘चिंतन’ वाला दल कहने वाले आज किस मुंह से इस मसले पर बोलेंगे? पार्टी को कहना पड़ा कि सदस्यों को अनुशासन में रहना चाहिए. लेकिन इस बीच स्वामी जी ने एक और छक्का लगा दिया कि ‘विदेशों में हमारे मंत्री अपनी परंपरागत परिधान पहना करें. कोट टाई पहनकर वे वेटर जैसे लगते हैं.’ सत्य के लिए जोखिम लेने वाले वाले स्वामी के दुश्मन कम नहीं. वाड्रा जी इस फाइट में स्वामी जी से अपना हिसाब चुकता करने के लिए फेसबुक से कूद पड़े कि यह तो वेटरों को इंसल्ट करना हुआ. वे भी मनुष्य हैं! मीडिया ने इसे भी उठा लिया क्योंकि सह पहलू और भी मजेदार है.

स्पष्ट है कि स्वामी जी इस वक्त के सबसे बड़े खबर बनाने वाले हैं. वे खबर बनाकर हिलाने-डुलाने वाले भी हैं. कब किसे हिला दें, ये वे ही जानें. लेकिन उनने लोहिया, राजनारायण की यशस्वी परंपरा को जीवित कर दिया है. जिस तरह समाजवादी अपनी ही खटिया खड़ी करने के लिए विख्यात रहे. लगता स्वामी जी उसी सत्यवाद की परंपरा पर चल रहे हैं. मीडिया उनको नहीं छोड़ सकता और वे मीडिया को नहीं छोड़ सकते और हम भी मीडिया की खबर लिए बिना नहीं रह सकते! जो मजा स्वामी की फाइट देखने में है वो मजा तो कपिल शर्मा के कामेडी शो तक में नहीं मिलता.



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