किक्रेट : अनिल कुंबले की नई पारी

Last Updated 25 Jun 2016 06:17:22 AM IST

भारतीय क्रिकेट में 1990 के दशक में सुपर हीरोज का जमाना था और अब इन सुपर हीरोज को भारतीय क्रिकेट को शिखर पर पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है.


अनिल कुंबले की नई पारी

क्रिकेट के भगवान माने जाते रहे सचिन तेंदुलकर, पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और वीवीवएस लक्ष्मण बीसीसीआई की क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं. वहीं 1990 के दशक में फैब फाइव के नाम से मशहूर खिलाड़ियों में शामिल राहुल द्रविड़ जूनियर क्रिकेटरों को तैयार करने का काम कर रहे हैं और अब देश के लिए सर्वाधिक विकेट लेने वाले अनिल कुंबले के टीम इंडिया का मुख्य कोच बनाने से फैव फाइव के सभी सदस्य भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने में जुट गए हैं.

अनिल कुंबले सफल गेंदबाज, सफल कप्तान और सफल प्रशासक साबित हो चुके हैं और अब इस कड़ी में उन्हें कोच पद को और जोड़ना है. जंबो नाम से मशहूर अनिल कुंबले जिस प्रतिभा के धनी हैं, उससे उनके इस भूमिका में भी सफल रहने की उम्मीद की जा सकती है. कुंबले के कद को देखते हुए उन्हें टीम इंडिया का कोच बनाए जाने पर कोई हैरानी नहीं हुई. लेकिन उनका इस रेस में सबसे आगे पहुंचने का तरीका जरूर हैरान करने वाला है. बीसीसीआई ने इस बार विज्ञापन निकालकर कोच की तलाश का अभियान चलाया. इस पद के लिए कुल 57 आवेदन आए. सलाहकार समिति ने इनमें से 21 नामों को छांटा, तब तक कुंबले का नाम नहीं था. कुंबले ने शायद दो मानकों पर खरे नहीं उतरने की वजह से आवेदन नहीं किया पर आवेदन करने के बाद माने जाने लगा था कि वही मुख्य कोच बनेंगे.

कुंबले के रेस में आने से पहले यह माना जा रहा था कि रवि शास्त्री ही मुख्य कोच रहेंगे क्योंकि उनका टीम डायरेक्टर के तौर पर कार्यकाल अच्छा रहा था और उन्हें टेस्ट कप्तान विराट कोहली का भी समर्थन हासिल था. लेकिन कुंबले के आगमन के साथ वह दूसरे स्थान पर खिसक गए. बोर्ड की सलाहकार समिति ने आखिर में कुंबले, रवि शास्त्री और टॉम मूडी का चयन किया और इनमें से किस नाम पर मोहर लगाई जाए, इसे लेकर बहुत माथा-पच्ची करनी पड़ी. लक्ष्मण शुरू से ही कुंबले के पक्षधर रहे, सचिन ने शास्त्री के टीम डायरेक्टर के तौर पर काम की तारीफ की. लेकिन गांगुली के कुंबले का पक्ष लेते ही सचिन ने भी उनका समर्थन कर दिया.

अनिल कुंबले के बारे में यह कहा जा रहा था कि एक तो उन्हें कोचिंग देने का अनुभव नहीं है और कोहली- शास्त्री में अच्छा तालमेल उनका खेल बिगाड़ सकता है. कुंबले ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर और मुंबई इंडियंस में मेंटर की भूमिका निभाकर कोचिंग जैसा ही अनुभव हासिल किया है. यहां तक विराट कोहली की बात है तो वह रॉयल चैलेंजर्स में कुंबले की कप्तानी में भी खेलें और मेंटर रहने पर भी खेले हैं. इसलिए इन दोनों में तालमेल में शायद ही कोई मुश्किल हो. वहीं महेंद्र सिंह धोनी तो अनिल कुंबले की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट खेले हैं. इससे तो यही लगता है कि भारतीय टीम के मौजूदा खिलाड़ियों को कुंबले से तालमेल बनाने में ज्यादा आसानी होगी.

अनिल कुंबले का मुख्य कोच के तौर पर पहला दौरा अगले महीने वेस्टइंडीज का होगा. इस दौरे पर भारत को चार टेस्ट खेलने हैं. इसके बाद भारत को अपने घर में 13 टेस्ट खेलने हैं. कुंबले हमेशा ही मैच विनर रहे हैं, इसलिए टीम में जीत का जज्बा भर सकते हैं. वैसे भी कुंबले को कोचिंग का अनुभव नहीं होने पर एक साल का कार्यकाल दिया गया है. इस दौरान उनका प्रदर्शन अच्छा रहता है तो इस कार्यकाल को 2019 के विश्व कप तक बढ़ा दिया जाएगा. भारत को घर में खेलने से कुंबले को अपनी जिम्मेदारी को अंजाम देने में मदद मिल सकती है. इस दौरान वह टीम इंडिया को आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर पहुंचा सकते हैं. इस समय भारतीय टीम 112 रेटिंग अंकों के साथ दूसरे स्थान पर है. वहीं आस्ट्रेलिया को छह अंकों की बढ़त मिली हुई है. आस्ट्रेलिया को भी भारत में चार टेस्ट खेलने को आना है. इस सीरीज में जरूर भारत के टॉप पर पहुंचने का फैसला हो सकता है.

कुंबले ने 2008 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. इसके बाद वह जवागल श्रीनाथ के साथ मिलकर कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव लड़े और तीन साल अध्यक्ष रहे. वह आईसीसी की क्रिकेट समिति के अध्यक्ष रहे हैं. अब उनके सामने कोच की नई जिम्मेदारी है. कुंबले ने खुद कहा कि मैं जानता हूं कि यह बहुत बड़ी चुनौती है. लेकिन मैं तैयार हूं और अब क्रिकेट को कुछ वापस देना चाहता हूं’.

मनोज चतुर्वेदी
लेखक


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