चौतरफा आश्वासन तो है

Last Updated 28 May 2016 05:10:16 AM IST

सरसरी तौर पर देखें तो समाज सेवा क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीति में दो विशेषताएं दिखलाई पड़ती हैं.


चौतरफा आश्वासन तो है

पहली, इसमें मौजूदा कार्यक्रमों में छीजन दूर करके उन्हें ज्यादा परिणामोन्मुख बनाने पर बल दिया गया है. और दूसरी विशेषता है कि इसमें अधिकार पर सशक्तिकरण को तरजीह दी गई है. अपने कार्यकाल में सरकार ने इससे पूर्व प्रधानमंत्री की जन धन योजना के माध्यम से सशक्तिकरण समेत वित्तीय समावेशन में बड़ी सफलता हासिल की.

इसके तहत, 23 से 29 अगस्त, 2014 के मात्र एक सप्ताह के भीतर 1.8 करोड़ खाते खोले जाने से इस कार्यक्रम का उल्लेख गिन्नीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में किया गया. मई, 2016 तक योजना के तहत 21.74 करोड़ खाते खोले जा चुके थे, और उनमें 37,445 करोड़ रुपये की जमाराशियां थीं.

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने न केवल आधार बायोमीट्रिक पहचान कार्यक्रम को बनाए रखने और तेजी से उसका विस्तार करने संबंधी व्यावहारिक फैसला किया, बल्कि सामाजिक कार्यक्रमों में होने वाली फिजूलखर्ची में कमी लाने की गरज से इन कार्यक्रमों में भी पहचान संबंधी कार्यक्रम को शामिल किया. हाल में यह कानून भी पारित कर दिया गया है, जिसके तहत सरकार के पास कंसोलिडेटिड फंड ऑफ इंडिया से वित्त पोषित सेवाओं के लाभार्थियों के लिए आधार पहचान संख्या को अनिवार्यत: लागू करने का अधिकार आ गया है. फलस्वरूप, सरकार लाभार्थी की आधार पहचान संख्या को उस बैंक खाते के साथ जोड़ सकेगी जिसमें लाभार्थी के लिए लाभ को स्थानांतरित किया गया है. आधार द्वारा पोषित बैंक खाते को आधार पहचान संख्या के साथ जोड़े जाने से प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) में घपले की आशंकाएं नष्ट हो जाएंगी. एक ही लाभार्थी द्वारा अनेक खाते या बेनामी खाते रखने की समस्या नहीं रहेगी. 

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), महात्मा गांधी नेशनल रूरल इम्पलॉयमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा) जैसे विशाल सामाजिक कार्यक्रमों और उवर्रकों तथा लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) सिलेंडरों की सब्सिडीयुक्त बिक्री में हाल तक बेनामी खातों और एक से ज्यादा खातों के जरिए बड़े पैमाने पर घपलेबाजी जारी थी. इन छीजनों पर अब डीबीटी-सह-आधार पहचान संख्या के माध्यम से अंकुश लगाया जा सकेगा. सरकार ने पीडीएस, मनरेगा तथा एलपीजी सिलेंडरों पर सब्सिडी के वितरण के लिए इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू भी कर दिया है. हालांकि यह लक्षित समूहों तक पूरी तरह से पहुंचाई नहीं जा सकी है. सभी बैंक खातों को अभी आधार के साथ जोड़ा नहीं जा सका है.

बेनामी लाभार्थियों पर लगाया अंकुश

अब तक करीब साढ़े तीन करोड़ बहुल या बेनामी लाभार्थियों को एलपीजी की सूचियों से बाहर किया जा चुका है. वर्ष 2014-15 के दौरान इससे 14,672 करोड़ रुपये की बचत हुई. मनरेगा में इसी प्रकार से बहुल या बेनामी लाभार्थियों को सूची से बाहर कर दिए जाने से 2015-16 में 3,000 करोड़ रुपये की बचत हुई. यह राशि मनरेगा के कुल आवंटन के 10 प्रतिशत से मामूली ही कम है. पीडीएस में भी आधार का इस्तेमाल करके 1.6 करोड़ फर्जी राशन काडरे को निरस्त किया जा चुका है, जिससे करीब 10,000 करोड़ रुपये की बचत हुई. 

ग्रामीण परिवारों के सशक्तिकरण के लिए सरकार ग्रामीण विद्युतीकरण तथा ग्रामीण सड़क निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाई है. अपने दो साल के कार्यकाल में सरकार ने 7,654 गांवों तक बिजली पहुंचाई जबकि सरकार के सत्ता संभालने के पहले के तीन वर्षो में 5,189 गांवों का ही विद्युतीकरण किया जा सका था. इसी प्रकार, 2014-15 और 2015-16 के दौरान क्रमश: 36,340 तथा 36,160 किमी. ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया जबकि 2012-13 तथा 2013-14 में क्रमश: 24,160 तथा 25,320 किमी. ग्रामीण सड़कों का ही निर्माण किया गया था. भारत के करीब 12 करोड़ परिवार खाना बनाने के लिए ठोस बायोमास ईधन का उपयोग करते हैं, जिसका स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है. अभी तक इन परिवारों को खाना बनाते में काला कार्बन सांसों में समा जाने की गंभीर समस्या से निजात दिलाने का कोई संजीदा प्रयास नहीं किया गया है. वर्षो से खाना बनाने के अच्छे स्टोव के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता रहा है, लेकिन अभी तक ये स्टोव प्रभावित परिवारों के एक प्रतिशत से भी कम परिवारों तक ही पहुंच पाए हैं. 

पहली बार सरकार ने इन परिवारों को एलपीजी सिलेंडर मुहैया कराने का मंसूबा बांधा है. प्रधान मंत्री उज्ज्वल योजना के तहत आगामी तीन वर्षो के दौरान गरीबी की रेखा (बीपीएल) के नीचे जीवनयापन कर रहे पांच करोड़ परिवारों को सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर मुहैया कराने की योजना आरंभ की है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1.5 करोड़ परिवारों तक सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना का आंशिक वित्त पोषण समृद्ध परिवारों द्वारा सब्सिडी का एलपीजी सिलेंडर स्वैच्छिक रूप से छोड़ने से हुई बचत से किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री के आह्वान पर एक करोड़ से ज्यादा समृद्ध परिवार सब्सिडी का त्याग कर चुके हैं. 2015-16 के बजट में सरकार ने अटल पेंशन योजना आरंभ करने की घोषणा की थी, ताकि असंगठित क्षेत्र के कामगारों को कम से कम प्रीमियम पर बीमा की सुविधा मुहैया कराई जा सके. योजना के तहत कुल अंशदान में सरकार 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी करेगी और पांच वर्ष की अवधि तक प्रत्येक अभिदाता के खाते में सालाना एक हजार रुपये भेजेगी. योजना के तहत चालीस वर्ष से कम आयु के अभिदाता को अपने अंशदान के अनुसार साठ वर्ष की आयु पूरी कर चुकने के पश्चात एक हजार से पांच हजार रुपये मासिक की नियत पेंशन मिलेगी. 

बीमा क्षेत्र में उल्लेखीय पहल

इसी के समानांतर केंद्र सरकार ने प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु होने पर) तथा जीवन ज्योति बीमा योजना (मृत्यु होने पर) भी आरंभ की है. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत मृत्यु होने की स्थिति में 2 लाख रुपये तथा आंशिक रूप से दिव्यांग होने की स्थिति में एक लाख रुपये का कवर मिलता है. योजना के हितग्राहियों की आयु 18 से 70 वर्ष हो सकती है. योजना के तहत सालाना 12 रुपये का प्रीमियम लिया जाता है. जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 18 से पचास वर्ष की आयु के व्यक्तियों को 330 रुपये के सालाना के प्रीमियम पर 2 लाख रुपये तक का कवर मिलता है. नौ मई, 2016 तक सुरक्षा बीमा योजना के तहत 9.4 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया था, जबकि जीवन ज्योति योजना के तहत 3 करोड़ लोग पंजीकरण करवा चुके थे. अलबत्ता, अटल पेंशन योजना के तहत काफी कम मात्र 20 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया था.

वर्ष 2016-17 के बजट में स्वास्थ्य संबंधी तीन प्रमुख पहल की घोषणा की गई.  ये थीं : बीमा, जन औषधि योजना तथा डायलिसिस कार्यक्रम. स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में अस्पताल के खचरे के लिए एक लाख रुपये तक कवर मुहैया कराया जाता है. इसके अतिरिक्त, तीस हजार रुपये का अतिरिक्त कवर भी मुहैया कराया जाता है. सरकार आधार से जुड़े कार्यक्रम के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आठ करोड़ परिवारों को यह सुविधा निशुल्क मुहैया कराएगी. जन औषधि कार्यक्रम के तहत समूचे राष्ट्र में तीन हजार स्टोरों पर कम लागत की जेनेरिक दवाएं मुहैया कराएगी. प्रत्येक वर्ष गुरदा रोगों से पीड़ित अंतिम चरण में पहुंचे रोगियों की संख्या 2.2 लाख से ज्यादा रहती है. इसे देखते हुए सरकार ने तमाम  जिला अस्पतालों में डायलिसिस सेवाएं मुहैया कराए जाने की घोषणा भी की है.

सरकार ने मनरेगा के बेहतर कार्यान्वयन के लिए अनेक कदम उठाए  हैं. तालाब  खोदने और तालाबों की तलछट छांटने जैसे कम लागत के उपयोगी कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है. गरीबों के लिए मकान, कुएं और शौचालय जैसी निजी संपत्तियों के निर्माण के कार्यों को तरजीही आधार पर हाथ में लिया गया है. इन संपत्तियों को लाभार्थियों की निगरानी में अंजाम दिए जाने से कार्य-निष्पादन का स्तर बेहतर होना सुनिश्चित हुआ है. इतना ही नहीं सरकार ने मनरेगा कार्यों तथा स्किल डवलपमेंट, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सभी के लिए आवास तथा स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं के बीच तालमेल बिठाने के सिलसिले को भी बेहतर बनाया है.

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नियम-विनियमन को सरल और उदार बनाया गया है, ताकि महिलाओं को अपनी एम. फिल तथा पीएच. डी डिग्री पूरी करने में आसानी रहे. कुछ शतरे के साथ महिला पीएच. डी स्कॉलर दूरदराज के नगर-शहरों से अपने पास के नगर-शहर में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम को स्थानांतरित करा सकती हैं. इसके लिए उन्हें नये सिरे से पाठय़क्रम आरंभ करने की जरूरत नहीं होगी. नेशनल असेसमेंट तथा एक्रिडिटेशन काउंसिल से लगातार तीन चक्र उच्चतम एक्रिडिटेशन ग्रेड हासिल करने वाले कॉलेजों को स्वायत्तता देने के लिए नियमों को उदार बनाया गया है.

शिक्षा क्षेत्र में तब्दीली का दौर

इसके अलावा, सरकार ने 10 निजी तथा 10 सार्वजनिक संस्थानों को विश्वस्तरीय शिक्षण तथा शोध संस्थानों में तब्दील करने के लिए प्रतिबद्धता जतलाई  है. इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में उठाए गए कदम भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली में दूरगामी सुधार लाने में कारगर साबित होंगे. साथ ही, चिकित्सा शिक्षा में सुधार को खासी प्राथमिकता दी गई है. इस बाबत दायित्व एक उच्चस्तरीय समिति को सौंपा गया है.

स्वच्छ  भारत मिशन (एसबीएम)  का संक्षिप्त उल्लेख किए बिना सामाजिक क्षेत्र में सुधार और कार्यक्रमों की चर्चा अधूरी होगी. यह मिशन न केवल स्वस्थ भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि आधुनिक भारत के निर्माण के लिए भी आवश्यक है. अन्य तमाम उद्देश्यों के अलावा मिशन के तहत 2 अक्टूबर, 2019, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, तक भारत को खुले में शौच की बुराई से मुक्ति दिलाने की बात कही गई है. इस कड़ी में 2013-14 में जहां पचास लाख शौचालयों का निर्माण किया गया वहीं 2014-15 में पांच लाख 88 हजार तथा 2015-16 में एक करोड़ 20 लाख सात हजार शौचालयों का निर्माण किया गया.

इन तमाम बातों का उल्लेख अपने तई परिपूर्ण नहीं है. सभी के लिए आवास, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, आजीविका मिशन के अलावा तमाम ऐसे कार्यों को सिरे चढ़ाया जा रहा है, जो लोगों के जीवन को छूने वाले साबित होंगे. वर्तमान सरकार की नीतियों की विशेषता यह है कि वे जीडीपी में सतत उच्च वृद्धि की आस्ति देने वाली हैं, राजस्व तथा सामाजिक परिव्यय में वृद्धि का वादा करती हैं, और सामाजिक सेवाओं को ज्यादा अच्छे और प्रभावी ढंग से मुहैया कराने के हालात बनाने वाली हैं.
(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)

अरविंद पनगढ़िया
उपाध्यक्ष, नीति आयोग


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment