कटाक्ष : माफी कौन मांगे
बात न कांग्रेस की है, जो मोदीजी से गुजरात के दंगों के लिए माफी मांगने की मांग करती रहती है और बात न भाजपा की है, जो कांग्रेस से चौरासी के दंगों के लिए माफी मांगने की बात करती रहती है.
कटाक्ष : माफी कौन मांगे |
यह बात तो अब नेशनल लेवल की रही ही नहीं, इंटरनेशनल लेवल की हो गई है.
क्योंकि सवाल अब यह नहीं रहा कि मोदीजी माफी मांगेंगे या नहीं और कि कांग्रेसी माफी मांगेंगे कि नहीं. अब तो बात ओबामाजी तक पंहुच गई है. अभी जब लोगों को पता चला कि ओबामाजी जापान जा रहे हैं, तो यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि ओबामाजी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हीरोशिमा और नागासाकी पर अमरीका द्वारा परमाणु बम गिराए जाने के लिए माफी मांगेंगे या नहीं. इधर सारी अटकलों को खत्म करते हुए उन्होंने परमाणु बम गिराने के लिए माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया है.
कायदे से तो बम जैसी चीज बनाने के लिए ही माफी मांगनी चाहिए. पर अमरीका कैसे माफी मांगे, उसके पास तो पूरा भंडार है. दुनिया को डराए रखने के लिए परमाणु बमों का जखीरा रखना जरूरी है. वह खाड़ी देशों का तो विनाश के हथियार रखने के जुर्म में विनाश कर सकता है. पर खुद विनाश का अपना सामान बचाकर रखता है.
एक जमाने में सोवियत संघ ने उसकी बराबरी की थी, पर बराबरी के इस चक्कर में वह खत्म ही हो गया. ऐसे में अगर उसने हीरोशिमा या नागासाकी पर बम गिराने के लिए माफी मांग ली तो सारा डर ही खत्म हो जाएगा. वैसे भी साहब पुलिसवाला र्थड डिग्री देकर माफी मांगता अच्छा थोड़े ही लगता है. फिर अमरीका तो यूं भी दुनिया का दरोगा ही कहलाता है.
किस-किस करनी के लिए माफी मांगेगा.
वह विश्व दरोगाई के लिए माफी मांगेगा या वह दुनिया भर में जनतंत्र के नाम पर जो तख्तापलट करवाता फिरता है, उसके लिए माफी मांगेगा? वह सीआइए की उन काली करतूतों के लिए माफी मांगेगा, जिसमें विश्व नेताओं की हत्याएं कराना तक शामिल है या वह कभी इस देश तो कभी उस देश पर युद्ध थोपने के लिए माफी मांगेगा? वह दुनिया भर में अपने फौजी अड्डे स्थापित करने के लिए माफी मांगेगा या फिर लैटिन अमरीका को अपना बैकयार्ड बनाने के लिए माफी मांगेगा. फिर तो उसे ट्रंप के लिए भी माफी मांगनी पड़ेगी, जो उसकी नई देन है. नहीं?
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