दमदार हैं धोनी के धुरंधर

Last Updated 07 Feb 2016 01:33:04 AM IST

देश में अगले माह क्रिकेट के सबसे संक्षिप्त प्रारूप यानी टी-20 के विश्व कप का आयोजन होना है.


दमदार हैं धोनी के धुरंधर

आयोजन घर में होने की वजह से क्रिकेट प्रेमियों की इसमें दिलचस्पी भी खासी है, इसलिए सभी निगाहें इसकी घोषित होने वाली टीम पर लगी हुई थीं. वैसे तो आस्ट्रेलिया से 3-0 से टी-20 सीरीज जीतकर आने वाली टीम में खास बदलाव की किसी को उम्मीद नहीं थी. नए खिलाड़ी के तौर पर शामिल किए गए पवन नेगी के नाम पर भी शायद ही किसी को एतराज हो. थोड़ी बहुत बहस की गुंजाइश अजिंक्य रहाणे और मोहम्मद शमी के चयन पर बन सकती है, पर भारतीय टीम  को देखकर यह धारणा जरूर बदल गई है कि टी-20 युवाओं और जबर्दस्त फिटनेस यानी दमखम वाले खिलाड़ियों का खेल है.

भारतीय टीम में पिछले चार साल से टीम से बाहर रहकर आस्ट्रेलिया दौरे पर वापसी करने वाले लेफ्ट आर्म पेस गेंदबाज आशीष नेहरा, काफी समय तक टीम से बाहर रहने वाले युवराज सिंह और ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को शामिल किया गया है. यह सभी 35 साल से ऊपर के हैं. यह तीनों ही खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनकी क्षमता पर शायद ही कोई ऊंगली उठा सके, पर इन तीनों के चयन से यह जरूर लगता है कि देश में कहीं प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी तो नहीं हो गई, जबकि ऐसा है नहीं. इसका मतलब यही है कि भारतीय चयनकर्ताओं ने जोखिम उठाने के बजाय ‘ट्रायड एंड टेस्टड कांबिनेशन’ को ही अपनाने का फैसला किया है. कुछ साल पहले सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण के संन्यास लेने के बाद टीम में शामिल हुए खिलाड़ी अब पूरी तरह से जम चुके हैं और अपनी क्षमता का प्रदर्शन पिछले दिनों आस्ट्रेलिया दौरे पर दिखा चुके हैं.

महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई वाली इस टीम को पूरी तरह से संतुलित माना जा सकता है और घर में खेलना स्थिति को सोने पे सुहागा वाली बनाता है. भारत को निश्चय ही घर में खेलने पर गेंदबाजी खासतौर स्पिन में आस्ट्रेलिया के मुकाबले ज्यादा फायदा मिलेगा. भारत में खेलने पर टीम की पेस गेंदबाजी पर निर्भरता थोड़ी कम और स्पिन पर निर्भरता थोड़ी बढ़ सकती है. भारतीय टीम में पेस गेंदबाजों के तौर पर आशीष नेहरा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और हार्दिक पांडय़ा को चुना गया है. वहीं स्पिनर के तौर पर रविचंद्रन अश्विन , रविंद्र जडेजा और हरभजन सिंह का चयन हुआ है. भारतीय टीम घरेलू परिस्थितियों में तीन पेस गेंदबाजों के साथ ही उतर सकती है. इस स्थिति में नेहरा और बुमराह का खेलना तय होगा. फिर मोहम्मद शमी और हार्दिक पांडय़ा में से कोई एक खेल सकता है. शमी लगभग एक साल से चोट की समस्या से जूझते रहे हैं और वह इस दौरान क्रिकेट न के बराबर खेले हैं. वह आस्ट्रेलिया दौरे पर भी पूरी तरह से फिट हुए बिना गए थे और ग्रेड दो की हैमस्ट्रिंग की वजह से बिना खेले ही लौट आए थे.

उसके बाद से उन्होंने कुछ भी नहीं किया है, जो उनकी टीम में वापसी कराता, इसलिए हैरत हो रही है. शमी ने अभी तक तीन टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर पांच विकेट निकाले हैं. अच्छा यह है कि भारत को विश्व कप से पहले श्रीलंका से तीन टी-20 की सीरीज और फिर एशिया कप में खेलना है, इससे शमी की विश्व कप से पहले सही परख हो जाएगी और परख में खरे नहीं उतरने पर बदलाव का विकल्प है ही. वहीं, हार्दिक पांडय़ा ने घरेलू सीजन में जिस तरह से अपना लोहा मनवाया, वैसा प्रदर्शन आस्ट्रेलिया दौरे पर तो नहीं कर सके पर प्रभावित करने में जरूर सफल रहे. यह भी संभव है कि इनको अपनाने के चक्कर में शमी साहब बेंच की शोभा बढ़ाते ही रह जाएं.

स्पिन गेंदबाजी में रविचंद्रन अिन और रविंद्र जडेजा  का खेलना तय है. धोनी तीसरा स्पिनर शायद ही खिलाएं, क्योंकि उनके पास स्पिन करने को युवराज सिंह और सुरेश रैना भी होंगे. इसलिए टीम में शामिल किए गए पवन नेगी के खेलने की संभावनाएं कमजोर ही नजर आती हैं. यह सही है कि नेगी 2014 की चैंपियंस लीग के फाइनल में सीएसके के लिए खेलते हुए केकेआर के पांच विकेट निकालकर प्रभावित कर चुके हैं.

उन्होंने मौजूदा घरेलू सीजन में भी बल्ले और गेंद से अच्छा प्रदर्शन किया है. फिर भी उनके खेलने की संभावनाएं कमजोर ही नजर आती हैं. भारत को घरेलू परिस्थितियों में खेलने की वजह से शुरुआती बल्लेबाजों से ही काम चलने की उम्मीद रहेगी. इसलिए धोनी का जोर ऐसे गेंदबाज को खिलाने पर रहेगा, जो कि विकेट निकालने में सक्षम हो. इस वजह से हरभजन सिंह भी मैच खेल सकते हैं. मनीष पांडे ने आस्ट्रेलिया दौरे पर पांचवें और आखिरी वनडे में मैच विजयी शतकीय पारी खेली थी. पर वह टी-20 टीम में नहीं होने की वजह से घर लौट आए थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने आस्ट्रेलिया दौरे से चोटिल होकर लौटे अंिजंक्य रहाणे के अनुभव को ध्यान में रखकर उन्हें मनीष पर वरीयता दी.

सच यह है कि विश्व कप में अजिंक्य रहाणे के खेलने की कोई संभावना नहीं दिखती है. असल में पहले से छठे नंबर तक भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह से पैक है. इसमें शिखर धवन, रोहित शर्मा, कोहली, रैना, धोनी और युवराज के खेलने पर किसी अन्य खिलाड़ी के लिए कोई अन्य स्थान नहीं बचता है. एक बात जरूर लगती है कि धोनी 2007 में टी-20 विश्व कप जीतकर ही सुर्खियों में आए थे और अब लगता है कि वह इस टी-20 विश्व को जीतकर क्रिकेट को अलविदा कह दें. धोनी देश के सफलतम कप्तान हैं और वह विदाई का जो भी तरीका चुनेंगे, वह शानदार ही होगा.

इस टी-20 विश्व कप में भारतीय प्रदर्शन की यहां तक बात है तो टीम पूरी तरह से संतुलित होने के साथ शानदार प्रदर्शन करने का माद्दा रखती है, लेकिन टी-20 फाम्रेट ही ऐसा है कि कोई भी टीम अपना दिन होने पर किसी भी टीम को पीट सकती है. वैसे भारतीय टीम का इस प्रारूप में प्रदर्शन अच्छा रहा है और श्रीलंका में हुए पिछले विश्व कप में भारत ने फाइनल तक चुनौती पेश की थी और उसे श्रीलंका के हाथों ही हार का सामना करना पड़ा था. अगर कुछ अजूबा नहीं हुआ तो भारतीय टीम के सिर एक और विश्व कप का ताज सज सकता है.

मनोज चतुर्वेदी
लेखक


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