सेकुलर को उसके मायनों में रखा जाए

Last Updated 29 Nov 2015 12:32:48 AM IST

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ‘सेकुलर’ शब्द के राजनैतिक दुरुपयोग की ओर देश का ध्यान आकषिर्त किया.


गृहमंत्री राजनाथ सिंह

धर्मनिरपेक्षता बनाम पंथनिरपेक्षता पर बहस चली है. सामाजिकता के विकास में भाषा और शब्दों की सार्वजनिक भूमिका है. योग विज्ञानी पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ में कहा कि शब्द का सम्यक् ज्ञान और सम्यक् प्रयोग ही हितकारी होता है. वाल्टेयर ने कहा, यदि आप मुझसे तर्क करना चाहते हैं तो पहले अपने शब्दों की परिभाषा करो. गृहमंत्री ने ‘धर्मनिरपेक्ष शब्द के प्रयोग पर वाल्टेयर जैसी चुनौती दी है और धर्मनिरपेक्ष की जगह ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द पर आग्रही रुख अपनाया है. सेकुलर का मूल अनुवाद पंथनिरपेक्ष है, लेकिन राजनीति में ‘धर्मनिरपेक्ष’ की भरमार है.

सेकुलरवाद या पंथनिरपेक्षता भारतीय विचारधारा नहीं है. अंग्रेजी शब्दकोषों में ‘सेकुलर’ का अर्थ भौतिक/इहलौकिक बताया गया है. सेकुलर भौतिक संसार का पर्यायवाची है. भारत में भौतिकता और आस्था के बीच कभी कोई संघर्ष नहीं चला. यूरोप में ऐसा संघर्ष लंबे समय तक चला. ईसाई चर्च राज्य व्यवस्था पर हावी थे. रोमन राज्यों ने कुछ समय तक विरोध किया, लेकिन ईसाई आधिपत्य को जीत मिली. चर्च राज्यसत्ता के रोजमर्रा कार्यों शासन, कराधान, सड़क और जल आपूर्ति में भी दखल करता था. 11वीं सदी में ब्रिटेन के राजा हेनरी चतुर्थ ने बगावत की, लेकिन उसे पोप ग्रेगरी सप्तम के सामने झुकना पड़ा. हेनरी हार कर भी पोप (चर्च) और राज्य व्यवस्था के अधिकारों पर बहस चलवाने में कामयाब रहे. आगस्टिन पोप के समर्थक बने. वायक्लिफ, दांते आदि ने पोपवाद का विरोध किया.

मैकियावली ने आस्थावादी व्यवस्था के विरोध को सैद्धांतिक जामा पहनाया. इंग्लैंड के हेनरी अष्टम ने भी पोप का विरोध किया. 16वीं सदी तक के संघर्ष से पंथ-आस्था को निजी जीवन का विषय माना जाने लगा. हॉब्स, लॉक और रूसो आदि विचारकों ने समाज और राज्य के ईश्वरीय सिद्धांत की जगह सामाजिक समझौते का सिद्धांत रखा, लेकिन पोप जैसी हस्तक्षेपी संस्था शक्तिशाली रही. इसके विरुद्ध संघर्ष भी जारी रहा. 20 सितम्बर 1870 के दिन पोप के रोम पर इटली का अधिकार हो गया. पोप बनाम इटली के स्वतंत्र राज्य को लेकर मतदान हुआ. पोपवाद हार गया. इटली की संसद ने (1871) ‘लॉ आफ पेपर गारंटीज’ पारित किया. पोप को उनका निवास और पड़ोसी क्षेत्र वेटिकन देकर सर्वोच्च शासक माना गया. 1905 में फ्रांस ने भी पृथकता कानून बनाकर भौतिक (सेकुलर) विषयों पर राज्यव्यवस्था का एकाधिकार मजबूत किया. यूरोप में सिद्धांत बना कि जो सीजर (राजा) का है, वह राजा को दो और जो ईश्वर का है वह ईश्वर को दो. राजकाज के संचालन में पोप/पादरी/मौलवी और संगठित पंथ के दबाव से मुक्ति ही सेकुलरवाद हैं.

भारत का धर्म संगठित पंथ नहीं है. इसलिए ‘धर्मनिरपेक्षता’ भारतीय जीवन पद्धति को गाली है. यहां धर्म का सतत विकास हुआ. ऋग्वैदिक काल में ही यहां जिज्ञासा व वैज्ञानिक दृष्टिकोण का वातावरण व यथार्थवादी दर्शन का विकास हुआ. भारत ने प्रकृति के नियमों को ऋत या धर्म कहा. डॉ. रामविलास शर्मा ने लिखा, नियमों का पालन करना भी एक नियम है, एक कर्म है. धर्म का अर्थ कर्म है. अथर्ववेद कम से कम 3-4 हजार वर्ष पहले लिखा गया. तब ईसाईयत नहीं थी, इस्लाम भी नहीं था, लेकिन इसके पृथ्वी सूक्त (12.1.45) कहते हैं-हे धरती मां! आप विभिन्न भाषा भाषी और विभिन्न धर्म वाले मनुष्यों को एक परिवार की तरह आश्रय व ऐर्य देवें.

संविधान निर्माता इस तथ्य से परिचित थे. इसीलिए प्रस्तावना में प्रभुत्व सम्पन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य का उल्लेख हुआ. नेहरू के मन में धर्मनिरपेक्ष नहीं ‘असाम्प्रदायिक’ शब्द था, लेकिन इंदिरा गांधी ने संविधान निर्माताओं द्वारा तय किए गए राष्ट्रीय स्वरूप पर भी सेकुलर शब्द चस्पा कर दिया. यूरोप में सेकुलर का उद्देश्य राजकाज को पंथ-दबाव से मुक्त रखना था. भारत में इसका लक्ष्य तुष्टीकरण बना. सेकुलर विदेशी विचार है. इसका अधिकृत अनुवाद पंथनिरपेक्षता ही है. अच्छा हुआ इस पर बहस चली है.

हृदयनारायण दीक्षित
लेखक


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